नई दिल्ली। आज सुबह ही एनडीए और उसके सहयोगी दलों में हलचलें तेज भी सभी की चाल में एक जीत का मंत्र दिख रहा था। क्योंकि इस बार टीम अमितशाह के दांव के आगे विपक्ष का सारा खेल और बिरयानी बेकार हो गई थी। हांलाकि विपक्ष ने भी एनडीए की तर्ज पर एक दलित प्रत्याशी का चयन कर एनडीए प्रत्याशी के विरोध में अपना दांव खेल दिया था। लेकिन ये दांव शायद विपक्ष ने देर से खेल, बाजी तो एनडीए ने पहले ही मार ली थी। अब तो केवल औपचारिकता ही बाकी है। इसी कड़ी में आज एनडीए के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति पद के लिए अपना नामांकन भरा। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत पूरा एनडीए और सभी सहयोगी पार्टियां मौजूद रहीं।
इस बारात में लगभग सभी भाजपा और एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ सभी सहयोगी दलों को आमंत्रित किया गया था। इस नामांकन के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। जब नामांकन के बाद योगी से मीडिया ने मीरा कुमार की उम्मीदवारी को लेकर सवाल किया तो योगी ने बेबाक तौर पर कहा कि कांग्रेस ने केवल दलित दलित लड़ाने का काम किया है। जब उसकी सरकार में मौका था। दलित को सम्मान देने का तब मीरा कुमार का नाम क्यूं नहीं आगे किया। वो पिछली सरकार में भी मीरा कुमार को बना सकते थे। एनडीए ने जब दलित वर्ग को एक बड़ा सम्मान देने के लिए रामनाथ कोविंद जी के नाम का चयन किया तो विपक्ष ने केवल लड़ने के लिए मीरा कुमार को उतारा है।
वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भी यही टिप्पणी विपक्ष के प्रत्याशी चयन को लेकर आई है नीतीश कुमार ने भी कहा कि बिहार की बेटी मीरा कुमार का सम्मान है। लेकिन विपक्ष ने उनका मान नहीं रखा है। अगर सम्मान देना ही था बिहार की बेटी को तो दो मौके क्यूं खो दिए जो उनके पाले में थे। जब एनडीए ने रामनाथ कोविंद का नाम चयन किया तो मीरा कुमार को लेकर कोई चर्चा ही नहीं थी। लेकिन बिहार के राज्यपाल और दलित होने के नाते विपक्ष ने बिहार की बेटी को उनके खिलाफ खड़ा कर दिया। आखिर मीरा कुमार को हराने के लिए ही विपक्ष ने क्यूं चयन किया। क्या बिहार की बेटी का चयन हराने के लिए किया है।
रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति होना एकदम तय माना जा रहा है। मौजूदा समय में एनडीए के पास जेडीयू, टीआरएस, बीजेडी जैसे बड़े क्षेत्रीय दलों का समर्थन प्राप्त है। मौजूदा वक्त में रामनाथ कोविंद को 61 फीसदी से ज्यादा वोट मिलने की सम्भावना है। इस वोट में अकेले एनडीए के तकरीबन 48 फीसदी से ज्यादा वोट हैं। अपने नामाकंन के बाद एनडीए के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद ने सभी पार्टियों को समर्थन करने का आभार जताते हुए कहा कि राष्ट्रपति का पद किसी पार्टी और व्यक्ति विशेष का नहीं बल्कि दलगत और व्यक्तिगत राजनीति से परे होता है।