नई दिल्ली। एक तरफ तो सरकार लोगों से सुरक्षा- स्वास्थ और सफाई की बात करती है वहीं महिलाओं की सबसे बड़ी जरुरत सैनेटरी नैपकीन को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने पर बातें बढ़ गई हैं।नेताओं के साथ-साथ कई महिला संगठनों ने इसका जमकर विरोध किया है। इसके तहत महिलाओं के हस्ताक्षर वाले और मैसेज वाले एक हजार सेनेटरी नैपकीन और पोस्टकार्ड प्रधानमंत्री को भेजे जाएंगे।
बता दें कि सैनेटरी नैपकीन को जीएसटी के दायरें लिया गया है और उस पर 12 फीसदी टैक्स लगाया गया है जिसके चलते पैड्स की कीमतें बढ़ गईं हैं।सरकार के इस फैसले पर विरोध जताते हुए ग्वालियर में महिला संगठनों ने एक अभियान चलाया है।इसमें वो पैड्स पर अपने संदेश लिखकर पीएम मोदी को भेजेंगी।
महिलाओं का कहना है कि पैड्स जरुरी और आवश्यक सामग्री में आती हैं और इसकी जरुरत महिलाओं को नियमित तौर पर रहती है। यदि ये महंगा कर दिया तो महिलाएं इसका उपयोग करना बंद कर देंगी जो सीधे उनके स्वास्थ्य पर असर करेगा।महिलाओं ने कहा कि गांव में आज भी पैड्स का इस्तेमाल कम होता और महिलाओं को बीमारी पकड़ लेती है।अगर शहरों में भी इसके दाम बढ़ गए तो हमारे लिए इसका इस्तेमाल मुश्किल हो जाएगा।