मुंबई। सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों और निजी बैंकों के प्रमुख अधिकारियों के वेतन को लेकर असंगति का मामला एक बार फिर सामने आया है। सार्वजनिक क्षेत्र के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की सीएमडी अरूंधती भट्टाचार्य और निजी बैंक आईसीआईसीआई की सीईओ चंदा कोचर के सालाना वेतन में अंतर को लेकर विरोध मुखर हुआ है। अरूंधती भट्टाचार्य का सालाना वेतन करीब 28.96 लाख रूपये है, वहीं चंदा कोचर का सालाना वेतन 7.85 करोड़ रूपये है।
चंदा कोचर की बेसिक सैलरी पिछले वित्तीय वर्ष में 2.67 करोड़ रूपये थी, साथ ही उन्हें 2.20 करोड़ रुपये का परफॉर्मेंस बोनस भी मिला था। इस तरह सभी भत्ते आदि मिलाकर चंदा कोचर का सालाना वेतन 7 करोड़ 85 लाख रुपये था। चंदा कोचर के अलावा एचडीएफसी बैंक के एमडी आदित्य पुरी की सैलरी 10 करोड़ रुपए थी और साथ ही उन्हें साल में 57 करोड़ के स्टॉक ऑप्शन भी दिए जाते थे।
मोदी के वित्त वर्ष का कैलेंडर वर्ष से मेल करने की इच्छा जताने के बाद सरकार ने पिछले साल एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया समिति को वितत् वर्ष एक जनवरी से शुरु करने की व्यवहार्यता का अध्ययन करने को कहा गया समिति ने दिसंबर में अपनी रिपोर्ट को वित्त मंत्री को सौंप दी हैं।
पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने भी उठाया था कम सैलरी का मुद्दा उन्होंने पिछले साल अगस्त में कम वेतन के मुद्दे को उठाया था यह सरकारी बैंकों के टॉप ऑफिशियल को अकर्षित करने के हिसाब से बेदह कम है सरकारी बैंक अपने निचले पद के अधिकारियों को ज्यादा और टॉप अधिकारियों को कम वेतन देते है उन्होंने कहा था कि इस वजह से सरकारी बैंक उच्च योग्यता रखने वाले लोगों को नौकरी नहीं दे पाते और उनमें टॉप लेवल पर सीधे नौकरी पाना आसान नही होता हैं।