बेंगलुरु। दमदार कुर्सी और मजबूत पद के लिए राजनीतिक पार्टियों को काफी कोशिश करनी पड़ती है। लेकिन अगर पार्टी सत्ता में हो तो राजनीति में दमदार मंत्रालय के लिए भी कई नेता अपनी दावेदारी पेश करने में जुट जाते हैं। लेकिन कर्नाटक में इन दिनों स्थिति बिल्कुल विपरीत नजर आ रही है। कर्नाटक के गृहमंत्री जी परमेश्वर ने अपना इस्तीफा राज्यपाल वजूभाई रुदाभाई को सौंप दिया है। जिसे उन्होंने स्वीकार भी कर लिया है। इसी बीच खबर भी आ रही है कि पार्टी का कोई दूसरा नेता गृहमंत्री नहीं चाहता। हालांकि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने खाली मंत्री पदों को भरने के लिए मंत्रिमंडल के विस्तार के संकेत दिए हैं।
दरअसल, पार्टी के बड़े नेता इस वक्त दूर की सोच रहे हैं। अगले साल यानि 2018 में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में गृहमंत्री की कुर्सी काफी रिस्की नजर आ रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव के दौरान यकीनन गृहमंत्री पर पार्टी को जीत दिलाने का कुछ भार होगा, लेकिन कोई नेता इस जिम्मेदारी को उठाने के लिए कोई भी नेता दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है।
बता दें कि कांग्रेस 2018 के विधानसभा चुनाव भी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व में ही लड़ने जा रही है। कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि पद के लिए मंत्रियों टीबी जयचंद्र, बी रामालिंग रेड्डी और संतोष लाड के नाम गृहमंत्री के पद के लिए सामने आ रहे हैं। उधर डीके शिवकुमार ने मंत्रालय लेने के लिए कोई झुकाव नहीं दिखाया। इसके बाद मुख्यमंत्री अपने दो विश्वासपात्रों (बेंगलुरु डेवलेपमेंट मिनिस्टर कजे जॉर्ज और पाब्लिक वर्क्स मिनिस्टर एचसी महावेदप्पा) में से एक को मंत्रालय सौंपने के लिए उत्सुक थे। लेकिन इन दोनों में से भी किसी ने कथित तौर पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और वे उन पोर्टफोलियो को बनाए रखने के लिए उत्सुक हैं, जो वर्तमान में वे हैं।
साथ ही इस बीच सिद्धारमैया ने सोचा कि मंत्री पदों का फेरबदल किया जाए, लेकिन ज्यादा मंत्री अपने मंत्रालय को छोड़ने के मूड में नहीं हैं। अब देखना है कि सिद्धरमैया खाली मंत्री पदों को भरने के लिए कौन-सी नई योजना बनाते हैं। वैसे सुनने में आ रहा है कि अगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अब जातिगत समीकरणों के आधार पर मंत्रियों को चुनने के बारे में मुख्यमंत्री विचार कर रहे हैं।