पाकिस्तान और बांग्लादेश भारत के केवल दो करीबी देश ही नहीं है बल्कि इन दोनों का उदय भी भारत के गर्भ से ही हुआ है। भारत की आजादी से एक दिन पहले पाकिस्तान विश्व के नक्शे पर उभरा इसके भी दो टुकड़े थे (पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान) आज का बांग्लादेश पाकिस्तान का वही पूर्वी हिस्सा है जिसे अलग कराने में भारत ने अहम भूमिका निभाई थी। रिपोर्ट की माने तो आजादी के समय पाकिस्तान में हिंदुओं की कुल आबादी 25 प्रतिशत थी। अभी इनकी जनसंख्या कुल आबादी की मात्र 1.6 प्रतिशत रह गई है।
पाकिस्तान जैसे मुल्क में गैर-मुस्लिमों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। 24 मार्च, 2005 को पाकिस्तान में नए पासपोर्ट में धर्म की पहचान को अनिवार्य कर दिया गया है। स्कूलों में इस्लाम की शिक्षा दी जाती है। गैर-मुस्लिमों, खासकर हिंदुओं के साथ असहिष्णु व्यवहार किया जाता है। जनजातीय बहुल इलाकों में अत्याचार ज्यादा है। इन क्षेत्रों में इस्लामिक कानून लागू करने का भारी दबाव है। हिंदू युवतियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म, अपहरण की घटनाएं आम हैं। उन्हें इस्लामिक मदरसों में रखकर जबरन मतांतरण का दबाव डाला जाता है। गरीब हिंदू तबका बंधुआ मजदूर की तरह जीने को मजबूर है।
इसी तरह बांग्लादेश में भी हिंदुओं पर अत्याचार के मामले तेजी से बढ़े हैं। बांग्लादेश ने “वेस्टेड प्रापर्टीज रिटर्न (एमेंडमेंट) बिल 2011″को लागू किया है, जिसमें जब्त की गई या मुसलमानों द्वारा कब्जा की गई हिंदुओं की जमीन को वापस लेने के लिए क्लेम करने का अधिकार नहीं है। इस बिल के पारित होने के बाद हिंदुओं की जमीन कब्जा करने की प्रवृति बढ़ी है और इसे सरकारी संरक्षण भी मिल रहा है। इसका विरोध करने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों पर भी जुल्म ढाए जाते हैं। इसके अलावा हिंदू इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर भी हैं। उनके साथ मारपीट, दुष्कर्म, अपहरण, जबरन मतांतरण, मंदिरों में तोडफोड़ और शारीरिक उत्पीड़न आम बात है। अगर यह जारी रहा तो अगले 25 वर्षों में बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी ही समाप्त हो जाएगी।
पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू लगातार हो रहे उत्पीड़न के परिणामस्वरूप घटती जनसंख्या, असीम गरीबी, मानवाधिकारों के हनन और विस्थापन की समस्याओं से ग्रस्त है। पूर्व और पश्चिम पाकिस्तान में विभाजन के समय हिन्दुओं की जनसंख्या क्रमशः 28 प्रतिशत और 11 प्रतिशत थी तथा खंडित भारत में 8 प्रतिशत मुस्लिम थे। आज जब भारत की मुस्लिम आबादी 14 प्रतिशत तक बढ़ गयी है वहीं बांग्लादेश में हिंदु घटकर 10 प्रतिशत से कम रह गए है और पाकिस्तान में वह 2 प्रतिशत से भी कम है।
भारत में एक तरफ असम में बांग्लादेशी घुसपैठ से असम के इस्लामीकरण की आवाज उठाई जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ बांग्लादेश में हिंदू आबादी तेजी से कम हो रही है। बांग्लादेश में 2001 से 2011 के बीच तेज गिरावट दर्ज की गई है। 2001 में बांग्लादेश की जनगणना के अनुसार वहां 1.68 करोड़ हिंदू थे जो 2011 में घटकर 1.23 करोड़ रह गये हैं। बांग्लादेश में अब कम से कम 15 जिले ऐसे हैं जहां हिंदू आबादी नदारद हो गई है।
2011 की गई जगनणना की जो रिपोर्ट सामने आई है उसके मुताबिक 2001 की जगनणना में बांग्लादेश में कुल आबादी के 9.2 प्रतिशत हिंदू थे लेकिन 2011 में उनकी संख्या बढ़ने की बजाय घटकर बांग्लादेश की कुल आबादी के 8.5 प्रतिशत रह गई है। 2001 में बांग्लादेश की हिंदू आबादी 1.68 करोड़ थी। हिंदू जन्मदर के आधार पर जो आंकलन किया गया था उसके मुताबिक 2011 में बांग्लादेश में हिंदू आबादी 1.82 करोड़ होनी चाहिए थी लेकिन जो नतीजे निकले हैं वे चौंकानेवाले हैं।
बांग्लादेश में हिंदू आबादी बढ़ने की बजाय तेजी से घटी है और अब बांग्लादेश में हिंदू आबादी घटकर 1.23 करोड़ रह गई है। यानी एक दशक के भीतर करीब साठ लाख हिंदू कम हो गये। हालांकि इसी अवधि के दौरान ईसाई, बौद्ध और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के वृद्धिदर में कोई कमी नहीं दर्ज की गई है। बांग्लादेश में 90.4 प्रतिशत मुस्लिम हैं बाकी नौ प्रतिशत में अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक हैं। एक आकलन के मुताबिक 1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) में करीब 30 लाख हिंदुओं का हत्या हो चुकी है। डॉ. सब्यसाची घोष दस्तीदार की किताब ‘इंपायर्स लास्ट कैजुअलटी’ में दावा किया गया है कि हिंदुओं के इस्लामीकरण के चलते इनमें से ज़्यादातर हत्याएं हुईं।
(गंगेश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार)