नई दिल्ली। दक्षिण एशिया में रोहिंग्या मुसलमानों की वजह से बवाल मचा हुआ है। भारत की स्थिति भा रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर साफ नहीं है। केंद्र सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि रोहिंग्या मुसलमान देश की सुरक्षा को लिए खतरा बन सकते हैं। इस समुदाय के लोग आतंकी संगठन से भी जुड़े हो सकते हैं। हालांकि सरकार ने अभी इसे कोर्ट से होल्ड करने की अपील की है। रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में रखने से मोदी सरकार इसलिए किनारा कर रही है कि इससे भारत की आतंरिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है। लोकिन क्या वाकाई 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान भारत के लिए खतरा है। जिन्हें अपनी जान बचाने के लाले पड़े हुए हैं वो कैसे किसी के लिए खतरा बन सकते हैं। इस बात को लेकर अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि रोहिंग्या वाकाई खतरा हैं या इसमें कोई राजनीति कारण छूपा है।
बता दें कि अगर भारत के अतीत पर नजरे घुमाई जाएं तो भारत ने हमेशा शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे खुले रखे हैं। अब तक भारत ने तिब्बती, बांग्लादेश के चकमा-हाजोंग, अफगानी और श्रीलंका के तमिलों को भारत में शरण दी है। इनमें से हाल ही में चकमा और हाजोंग समुदाय के लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय नागरिकता देने का आदेश तक दिया है। लोकिन रोहिंग्या मुसलमानों के लिए भारत को सोचना पड़ रहा है। क्योंकि भारत का कहना है कि म्यांमार से पलायन के बाद कई रोहिंग्या जम्मू-कश्मीर में भी आकर बस गए हैं और भारत ढाई दशक से कश्मीर में आतंकवाद से जूझ रहा है। ऐसे में रोहिंग्याओं को वहां बसाना किसी खतरे से खाली नहीं है। इस बारे में हाल ही में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रोहिंग्या मुसलमानों को जम्मू-कश्मीर की सिक्युरिटी के लिए खतरा बताया था।