नई दिल्ली। बिहार में राजनीति बदलने के बाद से ही नई-नई अटकलें सामने आ रही है। जहां एक तरफ कुछ लोग नीतीश के इस कदम को सही ठहरा रहे हैं तो वहीं कुछ लोग उनके इस कदम से सख्त नाराज नजर आ रहे हैं। जिसके बीच ये कहना बहुत ही मुश्किल हो गया है कि आखिर फ्लोर टेस्ट में किसका पलड़ा ज्यादा भारी होगा। हालांकि जिस तरह से नीतीश की तरफ लोगों का झुकाव ज्यादा देखने को मिल रहा है उससे तो यही लग रहा कि फ्लोर टेस्ट में नीतीश का ही पलड़ा ज्यादा भारी होगा। लेकिन इस का फैसला तो नीतीश और सुशील मोदी के बहुमत साबित करने के बाद ही होगा कि किसने फ्लोर टेस्ट में बाजी मारी है और किस का दांव ज्यादा काम आया है। नीतीश के लिए ये स्थिति जितनी आसान नजर आ रही है असल में उतनी है नहीं क्योंकि जेडीयू में कुछ विधायक ऐसे भी हैं जो नीतीश के इस फैसले से नाराज बताए जा रहे हैं। जो नीतीश के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।
बता दें कि अचानक बिहार की राजनीति में जिस तरह हलचल मची है। जिस तर नीतीश कुमार ने अपने दो साल के साथी लालू का साथ छोड़ कर चार साल के बाद अपने पुराने साथी बीजोपी का हाथ थाम लिया है। इसके बारे में शायद ही किसी ने सोचा होगा। बिहार की राजनीति का ये समीकरण इतनी तेजी से बदला कि किसी को कुछ समझ ही नहीं आया कि आखिर हो क्या रहा है। नीतीश ने बीते बुद्धवार को महागठबंधन तोड़कर इस्तीफा दिया और अगले ही दिन बीजेपी के साथ मिलकर दोबारा सीएम पद की शपथ ग्रहण कर ली। बिहार की राजनीति में ऐसा पहली बार हुआ है कि बिहार मात्र 17 घंटे बिना सीएम के रहा।
वहीं जानकारी मिल रही है कि नीतीश जिस तरह बीजेपी का हाथ थामकर बिहार में सीएम की गद्दी पर बैठे हैं। उनके इस फैसले से जेडीयू के करीब 16 विधायक नाराज बताएं जा रहे हैं। नीतीश कुमार से जो विधायक नाराज हैं उनमें 5 मुस्लिम और 11 यादव विधायक बताए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि उनकी नाराजगी फ्लोर टेस्ट के दौरान नीतीश कुमार का सियासी गणित खराब कर सकते हैं।