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आखिर कौन चाहता है योगी हों फ्लॉप

yogi up आखिर कौन चाहता है योगी हों फ्लॉप

नई दिल्ली। सूबे में योगीराज कायम है। प्रदेश की सत्ता की बागडोर हाथ में लेते ही योगी ने एक बात स्पष्ट कर दी थी कि या तो गुंडे-बदमाश सुधर जाएं या फिर वो अब यूपी छोड़कर चले जाएं। इसके बाद उन्होने प्रदेश की कानून व्यवस्था को सुधारने और पटरी पर लाने के लिए प्रशासनिक अमलें से लेकर हर एक मोर्चे पर चाक-चौबंद व्यवस्थाएं बहाल करनी शुरू कर दी थीं। लेकिन अचानक ही योगीराज में हाहाकर मच गई। एक के बाद एक मामलों ने कानून व्यवस्था के चाक-चौबंद दावों की पोल खोल कर रख दी ।

yogi up आखिर कौन चाहता है योगी हों फ्लॉप

पहला बड़ा मामला
सूबे की धर्म नगरी और योगी सरकार के मंत्री श्रीकांत शर्मा की कर्मभूमि मथुरा में एक बड़ी लूट की घटना होती है। पुलिस की लापरवाही के चलते जानें भी जाती हैं। विपक्ष से लेकर जनता सड़क से सत्ता के गलियारों तक हाहाकर करती है। आनन- फानन में मंत्री से लेकर डीजीपी तक दौरा करते हैं। पुलिस पर कार्रवाई की जाती है। पुलिस फिर भी एक्शन नहीं लेती है। पीड़ित परिवार और पूरे प्रदेश के व्यवसायी सड़क पर उतर आते हैं। फिर होता है एक्शन, कल तो जो पुलिस बैठी थी उसे अचानक ही सभी अपराधी माल समेत मिल जाते हैं। यहां पर बड़ा सवाल है जिस पुलिस को घटना के साथ तेजी दिखानी थी को सड़क पर हंगामे के इंतजार में क्यूं बैठी रही। घटना के बाद ही एक्शन क्यूं नहीं लिया गया।

दूसरा बड़ा मामला
बीते 4 हफ्ते से सूबे का सहारनपुर सुलग रहा है। जातीय हिंसा का ऐसा तांडव मचा है कि थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। विपक्ष भी सरकार को लगातार आड़े हाथों ले रहा है। सूबे का सारा प्रशासनिक अमला एक ही कांड की आग में जल रहा है। सरकार के मंत्री से लेकर आलाधिकारी लगे हुए हैं। खुद सीएम योगी भी इस मामले पर नजर रखें हैं। एस एस पी, डी एम और कमिश्नर के साथ डी आई जी पर कार्रवाई हो चुकी है कुछ के तबादले हुए तो कुछ के निलंबित कर दिया गया है। लेकिन केन्द्र सरकार के दखल के बाद अब इस मामले में कईयों पर नकेल कसी जा रही है। आखिर ये जांच और नकेल अभी तक क्यूं नहीं कसी गई ये इस पूरे मामले मे यक्ष प्रश्न बना हुआ है। आखिर इतना लम्बा वक्त बीतने के बाद भी सहारनपुर कैसे सुलगता रहा है।

तीसरा बड़ा मामला
सूबे में कानून व्यवस्था की हालत खराब है। इस बात को और पुष्ट करने के लिए जेवर में गुरूवार की रात लूट और गैंगरेप की वारदात ने मानो पूरे प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे के हिलाकर रख दिया। ये घटना कोढ़ में खाज जैसी साबित होने लगी। जो सरकार गुण्डाराज ना भ्रष्टाचार के नारे के साथ सत्ता में आई थी उस सरकार ने चंद दिनों में ही कानून व्यवस्था का बड़ा माखौल उड़ने लगा। लेकिन प्रारम्भिक जांच और बड़े खुलासे ने एक बार फिर इस बड़ी वारदात को भी बड़े संदेह के दायरे में लाकर खड़ा कर दिया है। मेडिकल रिपोर्ट में गैंगरेप का पुष्ट ना होना पीड़िता का बयान से पलट जाना । ये पूरे प्रकरण को संदेह के दायरे में लाकर खड़ा कर देती है।

अब बड़ा सवाल
आखिर कौन है जो प्रदेश का माहौल बिगाड़ रहा है। आखिर सूबे में भाजपा की लहर से किसका नुकसान है। कहीं योगी को लेकर तो भाजपाई नहीं कर रहे कोई साजिश क्योंकि जब मामला सड़क से मीडिया के जरिए बड़ा बन जाता है। सत्ता के गलियारों में गूंजने लगता है तभी मामले से जुड़े सभी तार खुलने वाले होते हैं कि आग ठंड़ी हो जाती है। क्योंकि योगी की नीतियां सबके लिए समान हैं चाहे वो पार्टी का कार्यकर्ता हो या मंत्री या फिर किसी अन्य दल का नेता या आम नागरिक ऐसे में खुद भाजपा के लोग भी योगी को लेकर ज्यादा संतुष्ट नहीं हैं। क्योंकि ज्यादातर विधायक दूसरी पार्टी से टूटकर भाजपा के साथ चुनाव के पहले आ गये थे। अब सरकार के कठोर रवैय के चलते पूर्ववर्ती सरकार की तरह इनकी स्वसत्ता नहीं चल रही है। तो कहीं ये पूरी साजिश योगी को हटाने की तो नहीं क्योंकि योगी पार्टी के साथ प्रदेश के माहौल को बदल सकते हैं। योगी को पार्टी के भीतर पीएम मोदी के अगले उत्तराधिकारी के तौर पर भी देखा जाने लगा है।

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