नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली मेट्रो पर बिना अनुमति भूजल का दोहन करने का आरोप लगाया है। इस मामले में एनजीटी ने मेट्रो को रोक देने की चेतावनी दी है।
दरअसल दिल्ली मेट्रो रेल द्वारा बिना अनुमति के भूजल के दोहन करने के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस स्वतंत्र कुमार ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय भूजल अथॉरिटी, दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन और दिल्ली जल बोर्ड को निर्देशित किया है कि वे संयुक्त रुप से ये पता लगाएं कि कितने मेट्रो स्टेशनों पर बिना अनुमति के जल दोहन होता है।
एनजीटी ने कड़े शब्दों में डीएमआरसी को जल दोहन के मामले में फटकार लगाते हुए कहा है कि “आप डीएमआरसी हैं तो इसका ये मतलब नहीं कि आप कुछ भी कर सकते हैं। दिल्ली में अगर कोई बिना अनुमति ट्यूबबेल भी लगाता है तो उसका ट्यूबबेल सील कर उसपर जुर्माना भी लगाया जाता है। क्या डीएमआरसी के साथ भी यही करना चाहिए? आप सब मिलकर इसका समाधान निकालें नहीं तो हम मेट्रो ट्रेनों का संचालन रोक देंगे।”
बताते चलें कि एनजीटी का आरोप है की डीएमआरसी ने बिना अनुमति के दिल्ली में 276 बोरवेल लगाए हैं जिनसे भूजल का दोहन होता है। इस पानी से ये ट्रेनों को धोते हैं। इस तरह के बोरवेल लगाए जाने की वजह से दिल्ली का जलस्तर काफी नीचे हो गया है।
दिल्ली सरकार को भी निर्देश…
साथ ही एनजीटी ने दिल्ली सरकार को भी आदेश दिया है कि वो प्लास्टिक बैन के नियम को और कड़ाई के साथ लागू करे और उल्लंघन करने वालों पर पांच हजार का जुर्माना लगाए। एनजीटी ने दिल्ली सरकार से कहा है कि वो दुकानों और वेंडरों के यहां छापे मारे और आदेश का उल्लंघन करने वालों को पकड़ें। एनजीटी ने दिल्ली सरकार से इस पूरे मामले में स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है।