नई दिल्ली। आज पूरी दुनिया नए साल का स्वागत कर रही है। कहीं स्वैग से स्वागत हुआ तो भारत में कई जगह फॉग से स्वागत हुआ। नया साल अपने साथ नई उम्मीदें नया जोश, नई उमंग लेकर आता है। ये एक ऐसा त्यौहार है जो पूरी दुनिया में खुशी और उल्लास से मनाया जाता है। साल की शुरुआत लोगों ने आतिशबाजी के साथ की। मुंबई,गोवा हिमाचल,कोलकाता सारे शहरों में जबरदस्त उल्लास के साथ नए साल का स्वागत किया गया।
सभी ने एक दूसरे को ढेर सारी बधाई दी। नए साल में जहां कुछ लोग पार्टी में बिजी थे तो कई मंदिरों में पूजा-अर्चना कर रहे थे वहीं कुछ ऐसे भी थे जो अपने परिवार के साथ बैठकर टीवी देख रहे थे। इस त्यौहार की सबसे खास बात ये है कि इसे हर धर्म और जाति के लोग मनाते हैं।
पंजाब में बैशाखी के दिन नया साल होता है, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के दिन, गुजरात में नया साल दीपावली के दूसरे दिन और इस्लामिक कैलेंडर में नया साल मुहर्रम के दिन मनाया जाता है, लेकिन फिर भी अगर बड़ी संख्या में बात करें तो एक जनवरी ऐसा दिन है जब हर कोई पुराना सब कुछ भूलकर जात-पात धर्म से ऊपर उठकर नया साल सेलेब्रेट करते हैं।
नया साल 1 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है इसके पीछे भी खास वजह है। दुनिया के छोटे से देश सामोआ ने सबसे पहले नववर्ष मनाया।1 जनवरी से शुरू होने वाले कैलेंडर को ग्रेगोरियन कैलेंडर कहा जाता है। साल 1582 के अक्टूबर से इसकी शुरुआत हुई। इस कैलेंडर को ईसाईयों ने क्रिसमस की तारीख निश्चित करने के लिए बनाया। ग्रेगोरियन कैलेंडर आज पूरी दुनिया में मशहूर है और इसी में मौजूद पहले दिन यानी 1 जनवरी को नया साल मनाया जाता है।