नई दिल्ली। बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट से दोषी ठहराए गए। विकास यादव की सजा माफी या छूट के प्रावधान को लेकर दायर की गई याचिका दाखिल की थी। जिस सुनवाई करत हुए कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया है। यानी अब विकास यादव को 25 साल तक की सजा बरकरार रहेगी। 2002 में विकास यादव और विशाल यादव के साथ सुखदे पहलवान ने नीतीश की हत्या कर दी थी। ये एक हाईप्रोफाइल ऑनर किलिंग का मामला था। जिसमें इन्हें सजा हुई है।
विकास ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में मानवीय संवेदना के तहत उसके साल 2016 के आदेश पर पुन: विचार करने के संबंध में ये याचिका की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 3 अक्टूबर 2016 को एक अहम फैसला सुनाते हुए साफ किया था कि विकास यादव की सजाएं एक साथ चलेंगी। इस फैसले से विकास को थोड़ा राहत मिली थी अब उसकी सजा 25 साल की हो गई थी। वहीं अन्य आरोपी सुखदे पहलवान की सजा 20 साल की हो गई थी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में 201 धारा के तहत हाईकोर्ट ने जो सजा दी थी उसे एक साथ चलाने का आदेश दे दिया था।
लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले में एक पाइंट था जिसको लेकर विकास और सुखदेव पहलवान ने अपील की थी। वो ये कि 2 अप्रैल 2014 को हाईकोर्ट ने इस मामले को ऑनर किलिंग करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जिसमें विकास और विशाल को 30 साल के पहले सजा में छूट पर किसी तरह के विचार ना किए जाने का जिक्र आया था। जबकि सुखदेव के लिए 25 साल था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 5 साल घटा दिया था।
अब विकास इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हुए उसकी दया विचार की अवधि कम करने के मारफत गुहार की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस मामले में उसकी ओर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे खारिज कर दिया था। जिसके बाद अब विकास को 25 साल की सजा काटनी ही होगी। इसके बाद वह अपनी सजा में छूट की अपील कर सकता है। पुलिस के मुताबिक नीतीश कटारा को 17 फरवरी 2002 को गाजियाबाद के डायमंड हाल से उसके दोस्त की शादी के दौरान विकास और विशाल ने अगुवा कर लिया था। जिसकी सुखदेव पहलवान की मदद से हत्या कर दी गई थी।