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विकास की बयार हो… बिहार में बहार हो… नीतीशे कुमार हो

Nitish modi sushil modi विकास की बयार हो... बिहार में बहार हो... नीतीशे कुमार हो

नई दिल्ली। नीतीश कुमार ने बीते बुधवार को बिहार की सियासत में भूचाल ला दिया था। इसके बाद देर रात तक बिहार की राजधानी से लेकर दिल्ली के सियासी गलियारों में राजनीतिक हलचलें बढ़ती रही थी। भाजपा ने देर शाम नीतीश कुमार को समर्थन देने की घोषणा के साथ सरकार में शामिल होने का ऐलान कर दिया था।

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वहीं अब तक सत्ता में साथ रही आरजेडी नीतीश कुमार के ऊपर इल्जामों की झड़ी लेकर खड़ी हुई थी। उसने नीतीश कुमार पर एक के बाद एक संगीन आरोप लगाने शुरू कर दिए थे। कभी ढोंगी कहा तो कभी हत्यारा तो फिर वापसी का फॉर्मूला भी सुझा दिया । लेकिन अब रास्ते इस मोड़ पर जुदा हुए थे कि वापसी करना संभव नहीं रह गया था। इसके बाद नीतीश ने अपने पुराने सहयोगी भाजपा का दामन था लिया। आज राजभवन में नीतीश कुमार ने छठवी तो सुशील मोदी ने तीसरी बार मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर एक नये अध्याय की शुरूआत की जिसको इनके समर्थकों ने नमो-नीतीश युग करार दिया है।

-:नीतीश कुमार बिहार और भाजपा देखते हैं कैसे अलग हुए और फिर एक :-

एनडीए अलग होने की पटकथा

साल 2013 माह 13 सितंबर जब भाजपा ने अपने लोकसभा समर का शंखनाद शुरू किया था। इस शंखनाद के साथ ही उसने अपने प्रत्याशी के तौर पर नरेन्द्र मोदी के नाम की घोषणा की थी। इसके बाद नीतीश कुमार ने एनडीए से दूरियां बनाते हुए गठबंधन से नाता तोड़ दिया और अलग हो गये नीतीश कुमार ने पहले ही साफ कहा था कि नरेन्द्र मोदी की छवि साम्प्रदायिक है। इससे नीतीश ने दूरी बनाई थी। हांलाकि इसके बाद मोदी की लहर ने नीतीश कुमार समेत सभी विरोधियों को मात दे दी थी। इसके बाद मोदी की ये लहर देश के आने वाले चुनाव में दिखने लगी थी।

अलग होकर विधानसभा चुनाव में बनाया महागठबंधन

सूबे में भाजपा से अलग हुए नीतीश कुमार ने कांग्रेस और राजद के बाहरी समर्थन के साथ अपनी सरकार को चलाया। इसके बाद उन्होने राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर एक महागठबंधन तैयार किया हांलाकि इस गठबंधन में नीतीश कुमार ही चेहरे के तौर पर रहे। विधान सभा चुनाव में नीतीश के चेहरे के दम पर इस महागठबंधन ने भाजपा के विजय रथ के पहिए को रोका था। इसके बाद नीतीश कुमार की सत्ता में दुबारा ताजपोशी हुई थी। लेकिन इस बार सहयोगियों के चेहरे बदल गये थे। अब तक जो विपक्षी थे वो साथ हो इस डगर पर चल रहे थे।

photo 1 विकास की बयार हो... बिहार में बहार हो... नीतीशे कुमार हो

20 महीने पहले यानी 2015 में बिहार की राजनीति में एक बड़ा गठबंधन बना था ये गठबंधन बिहार में भाजपा को सत्ता से रोकने के लिए कांग्रेस और राजद ने जेडीयू के साथ मिलकर बनाया था। विधान सभा चुनाव में इस गठबंधन को अपार बहुमत मिला था। जिसके बाद मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार सीएम की कुर्सी पर बैठे थे। लेकिन इस गठबंधन में कई बार नीतीश कुमार के कई फैसलों को लेकर सहयोगियों के बीच उनका तालमेल नहीं मिल रहा था। इसके बाद लगातार बात बिगड़ती गई आखिरकार नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया। अब नीतीश कुमार दुबारा 24 घंटे के भीतर सीएम की कुर्सी संभाल चुके हैं। भाजपा उनको समर्थन दे रही है। शुक्रवार को उनको सदन में अपना बहुमत साबित करना है। लेकिन कुछ खास मुद्दे आये थे जिन पर सहयोगियों से नीतीश कुमार की तनातनी हो गई थी।

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