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अब घर के पीछे शूटिंग रेंज में सब्जियां उगाऊंगे बिंद्रा

Abhinav Bindra 1 अब घर के पीछे शूटिंग रेंज में सब्जियां उगाऊंगे बिंद्रा

रियो डी जेनेरियो। भारत के लिए ओलम्पिक खेलों की व्यक्तिगत स्पर्धा में एकमात्र स्वर्ण पदक जीतने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा सोमवार को ब्राजील की मेजबानी में चल रहे रियो ओलम्पिक की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में चौथे स्थान पर रहे और पदक से चूक गए। करियर के आखिरी ओलम्पिक में पदक के इतना नजदीक आकर चूकने के बाद बिंद्रा ने आईएएनएस से कहा, “मेरा निशानेबाजी करियर यहीं खत्म होता है, यहां तक कि शौकिया निशानेबाजी भी यहीं से खत्म होती है।”

Abhinav Bindra

स्पर्धा के एक घंटा बाद सहज हो चले बिंद्रा ने आराम से पत्रकारों से बातचीत की और उनके सवालों के जवाब दिए। बिंद्रा ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि वह भविष्य में क्या करने वाले हैं, लेकिन निश्चित तौर पर निशानेबाजी का उनके आने वाले कल में कोई स्थान नहीं है, यहां तक कि शौकिया भी वह निशानेबाजी नहीं करने वाले।बिंद्रा ने कहा कि उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ किया, लेकिन पदक नहीं जीत सके। जब उनसे पूछा गया कि घर पर शौकिया तौर पर तो वह निशानेबाजी करते ही रहेंगे तो उन्होंने कहा, “मैं अपने घर के पिछले हिस्से में सब्जियां उगाने वाला हूं।”

इस जब उनसे पूछा गया कि क्या वह इस बारे में गंभीर हैं तो उन्होंने कहा, “क्या मैं आपको गंभीर व्यक्ति नजर नहीं आता।” इस पर बिंद्रा से पूछा गया कि क्या वह खुद को कुछ ज्यादा ही सख्त दिखाने की कोशिश कर रहे हैं तो बिंद्रा ने कहा, “और मैं कर भी क्या सकता हूं। आप मुझसे क्या चाहते हैं, क्या मैं रोना शुरू कर दूं? जी हां, मैंने ठीक-ठाक प्रदर्शन किया।”टेलीविजन चैनलों के कैमरे न होने के कारण शूटिंग अरेना के ठीक बाहर बिंद्रा बड़े सहज नजर आ रहे थे और अखबारों के पत्रकारों के साथ हंसी-मजाक भी कर रहे थे। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि 20 साल बाद पांच ओलम्पिक और तीन ओलम्पिक पदक के तो वह हकदार हैं ही।

बिंद्रा ने कहा ‘मैंने ओलम्पिक के लिए बहुत कठिन और निरंतर मेहनत की थी’ लेकिन ‘मेरा काम उतना आसान नहीं है, जितना आपका’। बिंद्रा ने स्वीकार किया कि पदक न जीत पाना ‘थोड़ा कष्टकारी तो होता है’ लेकिन ‘यही जीवन है। खेल का यह हिस्सा है और यह खेल का पारितोषिक है’। बीते कुछ वर्षो में लगातार चोटों से जूझने के बावजूद प्रतिस्पर्धा में बने रहने के सवाल पर बिंद्रा ने कहा, “मेरे खयाल से इसके पीछे प्रेरणा का बड़ा हाथ है। मैं अच्छा करना चाहता था और चुनौतियों से पार पाना चाहता था। मुझे खुद में विश्वास था और उम्मीद पर जी रहा था।” बिंद्रा ने बताया कि रियो ओलम्पिक के लिए विशेष तौर पर तैयार करवाई गई उनकी बंदूक फाइनल स्पर्धा वाले दिन सुबह गिरकर टूट गई थी, जिसके कारण उन्हें वैकल्पिक बंदूक से काम चलाना पड़ा।

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इससे कोई फर्क पड़ा। पत्रकारों ने जब उनसे जोर देकर पूछा कि वह भविष्य में क्या करने वाले हैं तो उन्होंने कहा कि वह अभी ओलम्पिक खेलों का समापन भी नहीं कर सके हैं और लोग उनसे पूछने लगे हैं कि आने वाले वर्षो में वह क्या करने वाले हैं। प्रशिक्षक का करियर चुनने के सवाल पर बिंद्रा ने कहा, “अगर मैंने प्रशिक्षण देना शुरू किया तो मेरे शिष्य दो घंटे में भाग खड़े होंगे।” बिंद्रा ने कहा कि अभी वह इस पर विचार करेंगे कि शेष जीवन व्यतीत करने और आजीविका के लिए वह क्या करेंगे।

अबकी जब बिंद्रा से पूछा गया कि वह अपने खेल अनुभव को फिर कैसे आने वाली पीढ़ियों को देंगे तो उन्होंने कहा, “मैं अपने फाउंडेशन के जरिए पहले से ही 30 युवा निशानेबाजों की मदद कर रहा हूं। मैं उनके लिए अपना सर्वश्रेष्ठ करूंगा। युवा खिलाड़ियों के लिए मेरा यही संदेश है कि कठिन मेहनत करें, दृढ़ता बनाए रखें और सफलता हासिल करें।” भारतीय निशानेबाजी के भविष्य के बारे में बिंद्रा ने कहा, “मैं अभी देखूंगा कि क्या हो रहा है। हो सकता है कि मैं अगली बार ओलम्पिक में पत्रकार बनकर आऊं। क्या कोई मुझे नौकरी देगा?” और वह मुस्कुराते हुए कुछ टेलीविजन पत्रकारों की ओर बढ़ गए।

 

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