देहरादून। उत्तराखंड विकास में मामले में चाहे भले ही पीछे हो लेकिन इस छोटे से राज्य ने आत्महत्या के मामले में देश के बड़े राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। गत दिनों एनसीआरबी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक भारत में आत्मदाह के मामलों में उत्तराखण्ड नंबर वन राज्य बना है। एनसीआरबी के ताजे आकड़े के अनुसार उत्तराखंड में आत्महत्या वृद्धि दर देश में सर्वाधिक है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार आत्महत्या के मामले में राज्य में सालाना 129.50 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। जान देने वालों में बड़ी तादाद 14 से 30 वर्ष की आयु वालों की है।
किस स्थान पर कौन सा राज्य
महाराष्ट्र (16970)
तमिलनाडु (15,777)
पश्चिम बंगाल (14,602) देश में पहले तीन स्थानों पर हैं।
वहीं, अगर इसमें वृद्धि की बात करें तो उत्तराखंड के बाद मेघालय (73.7 फीसद) दूसरे और नागालैंड (61.5 फीसद) तीसरे स्थान पर है।
उत्तराखंड में साल 2015 में कुल 475 मामले सामने आए। इनमें 346 पुरुष और 129 महिलाएं शामिल थीं। जबकि 14 से 30 वर्ष के कुल 202 लोगों ने मौत को गले लगाया। इनमें 132 पुरुष और 70 महिलाएं शामिल थीं।
इस बारे में मनौवैज्ञानिकों का कहना है कि युवाओं में जूझारू प्रवृत्ति कम हो रही है। वे मामूली दबाव भी नहीं झेल पाते हैं। बदलते सामाजिक मूल्यों और टूटते संयुक्त परिवारों की वजह से आपसी संवाद कम हो रहा है। ऐसे में तनाव या दबाव की स्थिति में नैतिक, मानसिक या आर्थिक समर्थन नहीं मिल पाता जो पहले संयुक्त परिवारों में मिलता था। यह आत्महत्या की एक प्रमुख वजह हो सकती हैं।