यूपी विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। पहले चरण के मतदान के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों ने तैयारियां भी पूरी कर ली है। उत्तर प्रदेश के ऱण में जीतने के लिए बीजेपी, कांग्रेस, सपा और बसपा सभी कोशिश करने में लगी हुई हैं। पहले चरण में 11 फरवरी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 जिलों की 73 सीटों पर मतदान होना है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को बसपा का गढ़ माना जाता है लेकिन इस बार बसपा की पकड़ इन जिलों में ढ़ीली पड़ती नजर आ रही है।
आज हम आपको बताने वाले है उत्तर प्रदेश के पहले चरण के मतदान में कौन से उम्मीदवार दमदार है और कौन से खिलाड़ियों को किस जिले में दबदबा है।
1. अफजल सिद्दीकी (बसपा भाईचारा प्रभारी)
मतदाताओं को रिझाने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक तीर से दो निशाने दागे हैं। पार्टी के मु्स्लिम चेहरा नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बेटे अफजल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश से उतारा है। अफजल ने इसलिए भी ज्यादा तवज्जों दी है क्योंकि एक तो वो य़ुवा का चेहरा है दूसरी तरफ उन्हें मुस्लिमों की भावना को अपनी तरफ खींचने का मौका मिलेगा। अफजल पर दांव लगाकार मायावती मुस्लिमों के साथ युवाओं के वोट को खींचने का प्रयास करेंगी।
इन चुनावों में अफजल सिद्दीकी बसपा के मुस्लिमों को साथ लेने के अभियान के मुखिया हैं। पश्चिमी यूपी के मुस्लिम बहुल इलाकों में कई सीटों पर उनका वोट प्रतिशत 70 तक आंका जा रहा है।
2. रामवीर उपाध्याय (सादाबाद विधानसभा क्षेत्र)
बसपा के सिकंदरारा से विधायक रामवीर को इस बार बसपा ने सादाबाद से प्रत्याशी बनाया है। बसपा में संतीश चंद्र के बाद रामवीर ही ब्राह्मण चेहरा है। पश्चिम यूपी से रामवीर पर दांव खेलकर बसपा ब्राह्मणों को अपने पाले में करने की कोशिश कर रही है। सादाबाद में रामवीर की पकड़ काफी मजबूर मानी जा रही है लेकिन जाट प्रभाव वाली इस विधानसभा सीट पर आरएलडी से उन्हें क़ड़ी टक्कर मिलने के आसार हैं।
3.अजित सिंह (अध्यक्ष, आरएलडी)
पश्चिमी यूपी की राजनीति में लंबे समय दबदबा रखने वाले अजित सिंह का राजनीतिक करियर इन दिनों मझदार में है। दरअसल अजित को पहले विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद अजित को लोकसभा चुनावों में भी हार का स्वाद चखना पड़ा। इस बार इनकी चुनौती उस छपरौली सीट को बचाने की है जहां आरएलडी आज तक कभी नहीं हारी। अब अजीत को यह सीट जीतकर अपना दम दिखाना है।
4.संगीत सिंह सोम (भाजपा नेता)
मेरठ की विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए एक बार संगीत सोम तैयार है। बता दें कि सोम का विवादों से गहरा नाता रहा है। उनका नाम मुजफ्फरनगर के दंगों के आरोपी में भी शामिल है। मुजफ्फरनगर दंगो के समय सोम की गाड़ी से दंगों की सीडी जब्त की गई थी, जो तनाव फैलाने के लिए बांटी जा रही थी। मुजफ्फरनगर दंगे करना के बाद एक बार फिर सोम मेरठ में सांप्रदाय़िक दंगों की तैयारी में जुटते नजर आ रहे हैं।
5. लक्ष्मीकांत बाजेपयी (बीजेपी)
भाजपा ने एक बार फिर से अपने वरिष्ठ नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी पर दांव खेला है। मेरठ से बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी विधायक हैं। मेरठ विधानसभा सीट की बात की जाए तो यहां पर बाजपेयी ने अब तक 6 बार विधानसभा चुनाव लड़ा रहा, जिसमें से 4 में उन्हें जीत मिली है।
6. योगेंद्र उपाध्याय (आगरा दक्षिण, भाजपा)
आगरा की शहरी विधानसभा सीट से भाजपा ने योगेंद्र पर दोबारा दांव लगाया है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा जिले की नौ सीटों में से सिर्फ दो सीटें जीत पाई थीं। उपाध्याय को लगता है कि मोदी लहर अब भी कायम है।