हरिद्वार। देवभूमि उत्तराखंड की धर्म नगरी हरिद्वार के जिलाधिकारी दीपक रावत जब छापेमारी करने निकलते है तो उस दौरान सब उनके सामने आने से कतराते है। लेकिन डीएम साहब का एक अलग ही अंदाज तब देखने को मिला जब वो एक शहीद जवान की मां का जन्मदिन मनाने उनके घर पहुंचे। ये देखकर उसने नजरे मिलाने में कतराने वाले लोग भी उन्हें दुआएं देने लगे। शहीद जवान की मां से मिलने और उनके जन्मदिन पर डीएम द्वारा दी गई बधाई की खबर सुनकर सबका मन भावुकता से भर गया। उनके इस कार्य से समाज में जो संदेश गया वो अद्भुद है। डीएम ने लोगों को बता दिया कि इंसान चाहे कितनी ही बुलंदियों को छु ले, लेकिन उसे हमेशा जमीन से जुड़े रहना चाहिए।
जिलाधिकारी दीपक रावत ने शहीद मेजर शुभम के घर पहुंचकर उनके परिवार से मुलाकात की। डीएम ने शहीद शुभम की मां आशा अग्रवाल के जन्मदिवस के शुभअवसर पर उन्हें शुभकामनाएं दी। आपको बता दें कि मेजर शुभम अग्रवाल साल 2005 में हुए आतंकवादी हमले में जम्मू-कश्मीर में शहीद हो गए थे। शुभम के शहीद होने के बाद उनकी मां पिछले 12 साल से बेटे की याद में घर में अकेली रह रही है। इस दौरान शहीद की मां आशा भावुक हो गई और उन्होंने कहा कि डीएम के आने से उनके जन्मदिन पर बेटे की कमी पूरी हो गई। दीपक ने बताया कि पीएम मोदी और सीएम त्रिवेंद्र रावत की तरफ से कहा गया है कि सभी जिलाधिकारी शहीदों के घर जाकर उनके परिवार से मिले और उनका हाल-चाल पूछे।
जिस समय जिलाधिकारी शहीद के घर उनकी मां को जन्मदिन की बधाई देने गए उस समय न तो उनके घर में कोई जन्मदिन की व्यस्था थी और न ही वहां कोई मौजूद था। घर पर जन्मदिन की कोई तैयारी न पाकर डीएम ने बड़े ही सहज तरीके से जन्मदिन की शुभकामनाएं दी। इसी के साथ उन्होंने आशा जी को आश्वासन दिया कि वो किसी भी दुख की घड़ी में उन्हें याद कर सकती हैं और वो तुरंत उनकी समस्या का निवारण करने उनके पास पहुंच जाएंगे। शहीद मेजर शुभम अग्रवाल की मां को डीएम रावत ने खुद अपने हाथों से मिठाई खिलाकर जन्मदिन की बधाई दी। इस दौरान आशा अग्रवाल ने कहा कि कई साल बाद घर में रौनक आई है। डीएम बिल्कुल उनके बेटे की तरह है, उनका मन नहीं कर रहा था कि वो उनके पास से उठे। आशा ने कहा कि वैसे तो उन्हें घर में अकेले रहते-रहते आदत सी हो गई है, लेकिन आज फिर से डीएम ने आकर उन्हें उनके बेट की याद दिला दी।
उन्होंने कहा कि अगर आज उनका बेटा होता तो उनका जन्मदिन बड़े ही धूम-धाम से मनाता। बताते चलें कि शहीद मेजर शुभम अग्रवाल सेना के बेहतरीन कमांडो में से एक थे। उनके पिता का नाम कौशल अग्रवाल और माता का नाम आशा अग्रवाल है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते वक्त मेजर शुभम 2005 में शहीद हो गए थे। उस समय मेजर के नाम कई एनकाउंटर करने का रिकोर्ड दर्ज था। किसी समय में उनका पूरा परिवार एक साथ हरिद्वार में रहा करता था।