वॉशिंगटन। येरूशलम को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजराइल को सौंप दिया है, अमेरिका की इस घोषणा के बाद येरूशलम अब पूरी तरह से इजराइल की राजधानी बन जाएगी। ट्रंप ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपतियों ने इसको लेकर एक अभियान चलाया था, लेकिन वो इजराइल से किए अपने वादे को पूरा करने में नाकामयाब रहे इसलिए मैं अब अमेरिका द्वारा इजराइल से किए वादे को पूरा करता हूं। ट्रंप ने अमेरिकी प्रशासन को इस बारे में निर्देश देते हुए कहा कि इजराइल के तेल अवीव स्थित अमेरिकी दूतावास येरूशलम ले जाने के प्रक्रिया शुरू की जाए। बता दें कि येरूशलम ईसाई, यहूदी और मुस्लिमों के लिए श्रद्धा का केंद्र है। साथ ही ये शहर अरब और इजराइल के विवाद का भी केंद्र है।
बता दें कि फिलिस्तीन पूर्वी येरूशलम को अपनी राजधानी मानता है, जहां अल अक्सा मस्जिद स्थित है। ट्रंप के इस घोषण के बाद अरब जगत में खलबली मच गई है। ट्रंप के इस फैसले को लेकर अरब जगत ने ये आशंका जताई है कि इस फैसले से बड़े स्तर पर विवाद छिड़ सकता है, जोकि पूरी दुनिया को बड़े युद्ध की चपेट में ले सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले के बाद फ्रांस, मिस्र और ब्रिटेन सहित आठ देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई है। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका की इस घोषणा के बाद अलकायदा और इस्लामिक स्टेट ने अमेरिका में खून की नदियां बहाने की धमकी दी है। इसी कड़ी में कई लोगों का ये मानना है कि इस फैसले से आतंकी संगठनों को दुनिया भर में अभियान छेड़ने का मौका मिल जाएगा।
वहीं दूसरी तरफ इजरायल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले का स्वागत किया है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि उनका देश हमेशा के लिए इस फैसले का आभारी रहेगा। आपको बता दें कि अमेरिका ने इस फैसले से पहले येरूशलम के किसी भी हिस्से में यहूदियों के दावे को कभी भी प्रोत्साहित नहीं किया था। ट्रंप से पहले अमेरिका हमेशा इस बात पर जोर देता रहा कि इस मुद्दे का हल इजरायल-फिलिस्तीन के बीच बातचीत के जरिए हो। ट्रंप की घोषणा के बाद इस मुद्दे पर अमेरिका इजरायल के साथ खड़ा हो गया है हालांकि, इस बीच ट्रंप के दामाद जेरेड कुश्नर इजरायल और फिलिस्तीन के बीच शांति समझौते के लिए प्रयास कर रहे हैं।