जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बाड़मेर रिफाइनरी के पुनः शिलान्यास करने के निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि राजस्थान की तस्वीर व तकदीर बदल देने वाली रिफाइनरी परियोजना का शिलान्यास सोनिया गांधी ने चार वर्ष पूर्व किया था और अब भाजपा सरकार द्वारा फिर से शिलान्यास कराने के लिए प्रधानमंत्री को बुलाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
बता दें कि गहलोत ने शनिवार को जयपुर में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट से प्रदेश की दिशा बदल सकती थी। इसको लेकर चार साल की देरी क्यों की गई और इसका शिलान्यास दोबारा करवाने के जरिए सरकार क्या दिखाना चाह रही है? पहले ब्याज मुक्त ऋण के प्रावधान थे और अब चार साल की देरी से प्रोजेक्ट की लागत बढ़ने के साथ प्रदेश की रफ्तार को सरकार ने पीछे धकेला है। इसके लिए प्रदेश की जनता माफ नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के पास चार साल में गिनाने की कोई उपलब्धियां नहीं है।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने प्रधानमंत्री मोदी को 12 अगस्त 2017 और 05 जनवरी को पत्र लिखकर अवगत कराया था कि रिफाइनरी का शिलान्यास 22 सितम्बर 2013 को ही किया जा चुका है। इसके बावजूद शिलान्यास किया जाना स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा का द्योतक नहीं है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की हठधर्मिता के कारण चार साल बर्बाद हो गए। रिफाइनरी समय से शुरू हो जाती तो अब तक पूर्ण हो जाती और अच्छा होता कि अब प्रधानमंत्री मोदी इस परियोजना का उद्घाटन करने आते। इस परियोजना को मुख्यमंत्री द्वारा इसलिए लटकाया गया था कि कांग्रेस को श्रेय नहीं मिल पाए। देरी के कारण राजस्थान के हजारों युवाओं को रोजगार से वंचित होना पड़ा और राजस्थान सरकार को इससे राजस्व के रूप में भारी हानि हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री प्रदेशवासियों को इस रिफाइनरी में चालीस हजार करोड़ रुपये की बचत का झूठा राग अलाप कर भ्रमित करने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि चार साल में रिफाइनरी की लागत में छह हजार करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है।
साथ ही कांग्रेस नेता गहलोत ने सवाल किया है कि राजस्थान में दो लोकसभा व एक विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव की घोषणा होने के बाद रिफाइनरी का शिलान्यास किया जाना क्या आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है? उन्होंने कहा कि रिफाइनरी एक जिले अथवा क्षेत्र विशेष के लिए महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि पूरे राज्य को प्रभावित करने वाली एक महत्वाकांक्षी परियोजना है।