उत्तरकाशी। आमतौर पर चार कपाट बंद होने के बाद चारधाम में सन्नाटा छा जाता है लेकिन अब लगता है कि पर्यटन की परिभाषा भी बदलने लगी है और लोग खुद पर्यटन के नए मायने निकालने में लगे हैं। तभी तो मंदिर के कपाट बंद होने के बाद और कड़ाके की बर्फबारी और कड़ाके की ठंड के बाद भी लोग गंगोत्री मंदिर के दर्शन करने आ रहे हैं। बिना सर्दी की परवाह किए बिना पहाड़ो में बाइकर्स ने भी रोमांचक पर्यटन की नई परिभाषा गढ़ी है।
बता दें कि उत्तरकाशी से गंगोत्री हर्शिल की तरफ का सफर नैसर्गिस सुंदरता से भरपूर है। सुंदर पहाड़ियों के बीच भागते दरख्तों के बीच चलने का एहसास अपने आप में अनूठा है। सामने दिखाती बर्फ की चांदनी से ढकी पहाड़ियां इंसान के अंदर ठंड का डर भूला देती है। और बर्फ में खेलने के लिए मजबूर कर देती है। गंगोत्री में इस वक्त कई कार्यालय बंद है। शातकालीन में जब बर्फ गिरती है तो गंगोत्री कपाट बंद हो जाते हैं और लोगों का आना जाना भी बंद हो जाता है। लेकिन उसके बाद भी यहां कुछ साधु आकर साधना के लिए निवास करते हैं।
वहीं देहरादून में आए दूसरे पर्यटक का कहना है कि पहाड़ों का सफर भले ही तकलीफ और थकान देने वाला हो किंतु बर्फ के मिलते ही पूरी थकान दूर हो जाती है। उन्होंने कहा कि पहले की तुलना में अब घर के बड़े बुजुर्ग भी ऑफ सीजन में पहाड़ों की यात्रा की अनुमति देने लगे हैं। जिसकों देखते हुए ये अंजादा लगाया जा सकता है कि पहाड़ों में पर्यटन की परिभाषा बदल रही है। गंगोत्री मंदिर के पहाड़ का नजारा आप देख सकते हैं। ये वही घाट है जहां पर पंडा समाज पितरों के नाम पूजा अर्चना गंगा तट पर करवाते हैं। गंगा के दूसरी तरफ काफी आश्रम हैं। सड़कों और पत्थरों पर बप्फ जमा हुई है। लेकिन उसके बाद भी यहां पर्यटक ठंड का आनंद ले रहे हैं और बर्फ में दिल खोल कर मस्ती कर रहे हैं। पर्यटक को देखकर लग रहा है कि जैसे यहां ठंड का नामोनिशान ही नहीं है।