धर्म

जानिए वट सावित्री के व्रत का महत्व

vat Savitri 01 जानिए वट सावित्री के व्रत का महत्व

वट सावित्री व्रत के दिन सभी कामों से मुक्त होकर अपने जल को गंगाजल से पवित्र करना चाहिए। इसके बाद सोलह श्रृंगार करके महिलाएं बांस की टोकरी में सप्त धान्य भरकर ब्रह्माजी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। ब्रह्माजी के बाईं ओर सावित्री तथा दूसरी ओर सत्यवान की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए।

vat Savitri 01

इसके बाद टोकरी को वट वृक्ष के नीचे ले जाकर रख देना चाहिए। इसके बाद सावित्री व सत्यवान का पूजन कर, वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पण करना चाहिए। पूजन के समय जल, मौली, रोली, सूत, धूप, चने का इस्तेमाल करना चाहिए। सूत के धागे को वट वृक्ष पर लपेटकर तीन बार परिक्रमा कर सावित्री व सत्यवान की कथा सुने। पूजन समाप्त होने के बाद वस्त्र, फल आदि का बांस के पत्तों में रखकर दान करना चाहिए और चने का प्रसाद बांटना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि वट पूजा कर ही सावित्री ने अपने मृत पति सत्यवान का जीवन दान लेकर आयी है। वह जीवित हो गये थे। इसके बाद से ही यह पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई है।

आगे पढ़ें वट सावित्री की कथा

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