बापू सेहत के लिए तू तो हानिकारक गाना तो आपने बहुत सुना होगा लेकिन ये गाना सुनते समय कभी आपने ये कल्पना नहीं की होगी की यह गाना भारत की राजनीति पर भी फिट होगा। जी हां, सपा कुनबे में चल रही कलह और वर्तमान में अखिलेश की स्थिति उसी बापू की तरह है, जिस तरह से फिल्म में आमिर अपनी बेटियों के हानिकारक हो गए थे, उसी तरह अखिलेश मुलायम सिंह यादव और सपा के लिए हानिकारक हो गए हैं।
बुधवार को मुलायम सिंह यादव द्वारा जारी की गई सूची से खफा हुए अखिलेश यादव ने औपचारिक रूप पर चाचा शिवपाल और मुलायम सिंह यादव से मुलाकात तो कर ली लेकिन उनकी इस मुलाकात ने प्रदेश के पूरे राजनीतिक समीकरण को ही बदल दिया। गुरूवार को चली दिनभर की सियासी उठापटक के बाद शाम को अखिलेश ने नया दांव खेलते हुए वर्तमान के 171 विधायकों और जिन क्षेत्रों में से विधायक नहीं है उन में से 64 सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए।
दरअसल बुधवार को जारी की गई सूची से अखिलेश यादव और उनके समर्थकों के टिकट काट दिए गए थे। जिसके बाद एक बार फिर सपा में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई। अखिलेश ने अपने हर चाहने वाले प्रत्याशियों को टिकट देने का ऐलान किया, जिनको शिवपाल और मुलायम ने हटा दिया था।
नजर नहीं आए अखिलेश
जिस समय मुलायम सिंह यादव इन लोगों के नामों की घोषणा कर रहे थे उस समय प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवपाल तो मौजूद थे लेकिन पिछली बार छिड़ी वर्चस्व की लड़ाई की तरह इस बार भी संवाददाताओं को संबोधित करने के लिए अखिलेश सामने नहीं आए और ना ही खुलकर विरोध किया।
खफा हुए अखिलेश सीधे बोरिया-बिस्तर उठाए मुलायम सिंह आवास पर बापू से मिलने पहुंच गए। एक राजनेता की तरह पार्टी के सुप्रीमो से मुलाकात की और घंटों बैठक के बाद घर को लौट तो गए। घर लौटते ही उन्होंने अपने बागी तेवर दिखाने शुरू कर दिए।
झुकना तो सीखा नहीं
अक्सर बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि 21वीं सदी के युवाओं ने किसी के आगे झुकना नहीं सीखा है। अखिलेश को भी शिवपाल और मुलायम के आगे झुकना नागवारा गुजरा और एक बार फिर बागी सुर अपनाते हुए प्रत्याशियों से कहा दिया, आप तैयारी करो, आप चुनाव लड़ेंगे, मैं खुद नेताजी से बात कर रहा हूं।
शाम ढ़लते ही अखिलेश ने अपने प्रत्याशियों की सूची भी जारी कर दी। खबरें तो यहां तक आई थी कि ये सभी विधायक मुलायम के प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव के मैदान में उतरेंगे।
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अधर में मुलायम..
चाचा-भतीजे की इस लड़ाई में कोई दोनों तरफ से पीसता नजर आ रहा है तो वो हैं मुलायम सिंह यादव अगर वो शिवपाल की बात सुनते हैं तो अखिलेश नाराज होते हैं। ठीक इसी तरह शिवपाल की सुनते हैं तो अखिलेश के बागी तेवरों को भी झेलना पड़ेगा।
इस पूरे समीकरण पर गौर फर्माया जाए तो एक बात तो अवश्य पता चलती है कि अखिलेश अब किसी के नहीं सुनने वाले हैं अब वो अपनी मर्जी से अपनी जमीन तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही वो पारिवारिक टैग लाइन से हटकर प्रदेश की जनता के दिलों में जगह बनाने की कोशिश करने में लगे हुए हैं।
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शिवपाल ने किया वार
बागी हुए अखिलेश पर पलटवार करते हुए शिवपाल ने गुरूवार रात एक और सूची जारी करके अखिलेश पर पलटवार करके ये जताने की कोशिश की पार्टी में तो उन्हीं की चली। आधिकारिक नजरिए से देखा जाए तो पार्टी में टिकट बंटवारे का अधिकार तो शिवपाल के पास ही है। पहले छिड़ी सपा की जंग में मुलायम सिंह यादव साफ लब्जों में कह चुके थे कि टिकट बंटवारे का जिम्मा शिवपाल को दिया जा रहा है।
वोटबैंक पर पड़ेगा असर
सपा में सियासी घमासान का सीधा असर सपा के वोटबैंक पर पड़ेगा क्योंकि अखिलेश, मुलायम, शिवपाल के समर्थक 3 गुटों में बंट जाएंगे। जाहिर सी बात है पार्टी में एक बार लड़ाई हो तो फिर भी बात को संभाला जा सकता है लेकिन बार-बार लड़ाई होने से तो परिवार भी बिखर जाता है ये तो पार्टी है। अखिलेश, शिवपाल की लड़ाई के कारण पार्टी के साथ-साथ जनता पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ रहा है। जनता के पास सीधा संदेश जा रहा है कि पार्टी के नेता जब खुद एक दूसरे के नहीं है तो वो आम जनता के क्या होंगे।
सपा कुनबे मची सियासी हलचल और घमासान ने प्रदेश की सियासत को गर्मा दिया है। साथ ही विपक्ष को एक बार फिर से सपा पर हमला बोलने का मौका दे दिया है। आगामी विधानसभा चुनावों में सपा, बसपा, कांग्रेस और बीजेपी के खिलाफ रण में उतरेगी या फिर अपने ही नेताओं के खिलाफ ये बड़ा सवाल है। एक तरफ अखिलेश यादव अपनी लिस्ट जारी कर रहे हैं, दूसरी तरफ शिवपाल लेकिन सवाल ये है कि आखिरी सूची कौन सी है और सपा की सियासत में किसका दांव लगाना सही होगा ये तो समय बताएगा।