उत्ताराखण्ड। केदारनाथ की आपदा के तीन साल पूरे हो जाने के बाद आज भी प्रदेश में कितने ही ऐसे परिवार हैं जो अपना घर बना पाने में विफल रहे हैं। इस मामले में जिलाधिकारी स्तर पर नोटिस भेजकर इन परिवारों से जवाब मांगा गया था जिस पर वे चुप्पी साधे हुए हैं। बता दें कि इस भयानक आपदा के बाद सरकार की तरफ से डेढ़ लाख रूपए की पहली किश्त की सहायता दी गई थी। लेकिन अभी तक उनके घरों का निर्माण कार्य शुरू तक नहीं हुआ। लोंगो के इस मामले में कोई जवाब न देने पर जिला प्रशासन उनसे दी गई सहायता राशि को वापस लेने पर विचार कर रही है।
साल 2013 में केदारनाथ आपदा में केदारनाथ घाटी में कआफी बड़ी त्रासदी हुी थी। इस दौरान अगस्त्यमुनि, चंद्रापुरी, गबनी गांव, सिल्ली आदि स्थानों पर सैकड़ों मकान मंदाकिनी नदियों का नामें निशान तक मिट गया था। इस घटना के बाद सरकार की तरफ से इन परिवारों को पांच लाख रूपए की सहायता राशि दी जाने की घोषणा की गई थी। जबकि, दो-दो लाख रुपये की (तात्कालिक) राशि पूर्व में दी जा चुकी गई है। आवासीय भवनों के लिए स्वीकृत पांच-पांच लाख की धनराशि में से प्रभावितों को प्रथम किस्त के रूप में डेढ़-डेढ़ लाख रुपये दिए गए। जबकि, दूसरी किस्त दो-दो लाख, तीसरी एक-एक लाख और अंतिम किस्त 50-50 हजार रुपये की रखी गई।
इसमें से 784 बेघर परिवार अब तक भवन का निर्माण कर चुके हैं। जबकि, 23 परिवारों पर पेंच फंसा हुआ है। इन परिवारों ने अब तक भवन निर्माण का कार्य शुरू ही नहीं किया, इसलिए इन्हें दूसरी किस्त नहीं दी जा सकी। जबकि, तहसील के बाद अब जिलाधिकारी कार्यालय से भी इन्हें नोटिस देकर जवाब मांगा जा चुका है। बता दें कि 860 परिवारों में से 53 परिवारों के भवन निर्माण का कार्य अंतिम दौर में है।
रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी डॉ. राघव लंगर के मुताबिक जिन बेघर परिवारों ने भवन निर्माण के लिए प्रथम किस्त मिलने के बाद भी काम शुरू नहीं किया, नोटिस भेजकर उनसे जवाब मांगा गया है।