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आठ हजार मुस्लिमों की हत्या करवाने वाला ये शख्स है अपने गांववालों के लिए हीरो

musalmano आठ हजार मुस्लिमों की हत्या करवाने वाला ये शख्स है अपने गांववालों के लिए हीरो

साराजोवा।  बोस्निया के पूर्व मिलिट्री कमांडर रातको म्लादिक अपने युद्ध के दौरान किए अपने अपराधों की सजा पाने के लिए आज तक इंतजार कर रहे हैं। म्लादिक ने युद्ध के दौरान 8000 मुस्लिमों को जान से मारने के आरोपी हैं, जिसको लेकर अगले हफ्ते हेग में फैसला सुनाया जाना है। म्लादिक यूरोप के हाई वॉर क्राइम में से एक है, हालांकि उनके इस अपराध के बावजूद भी उनके गांव के लोग उनके साथ खड़े हैं और वो गांव वालों के लिए किसी हीरो से कम नहीं है। म्लादिक पर 8000 हजार मुसलमानों की हत्या को लेकर नरंसहार का चार्ज लगा हुआ है और उनको सजा दिलवाने को लेकर पिछले पांच साल से कोर्ट में उनके ऊपर लगे आरोप की सुनवाई चल रही है। musalmano आठ हजार मुस्लिमों की हत्या करवाने वाला ये शख्स है अपने गांववालों के लिए हीरो

दरअसल पांच साल पहले युद्ध के दौरान रेब्रिनका टाउन को कब्जे में लेने के लिए न सिर्फ उन्होने युद्ध का ऐलान किया, ब्लकि आठ हजार मुस्लिम मर्दो और लड़कों की हत्या भी करवा दी। इसी के साथ उसने साराजेवो की घेरबंदी कर नागरिकों पर तोपो से हमला करने का भी हुक्म सुना दिया। इसके बावजूद भी वो अपने गांव के दो दर्जन लोगों के लिए किसी हीरो से कम नहीं है। बता दें कि इस गांव के ज्यादातर लोग म्लादिक के रिश्तेदार है। गांव के ही एक शख्स का कहना है कि म्लादिक ने ऐसा कुछ भी नहीं किया है, जिनसे वो सजा की श्रेणी में आए। म्लादिक बहुत ही अच्छे इंसान के साथ बहुत अच्छे जनरल भी हैं।

यही नहीं गांव के हर मकान और केबिन्स में म्लादिक का पोर्ट्रेट लगा है। यहां के लोग उसकी तारीफ करते नहीं थकते हैं। गांव में रहने वाले म्लादिक के एक अन्य कजिन दुस्को म्लादिक ने कहा कि वो किसी को जान से नहीं मार सकता। युद्ध के वक्त हमारे मुस्लिम पड़ोसी इकट्ठे हो गए थे और जिसे उसने जगह छोड़ने की वॉर्निंग दी थी। दुस्को का कहना है कि मैं अब भी उस गांव में गया हूं और वहां के मुस्लिमों के साथ काम किया है। उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है।हालांकि, गांव के लोगों को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं म्लादिक को इस मामले में वॉर क्राइम का दोषी न ठहरा दिया जाए।2011 में पकड़ा गया जनरल म्लादिक अब भी सर्ब क्षेत्र में किसी हीरो की तरह हैं। वहीं उन्हें 1992-1995 में चले युद्ध के दौरान देश के रक्षक की तरह सम्मानित किया गया था, जिसमें एक लाख लोग मारे गए थे।

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