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डेढ़ लाख से ज्यादा का बिक रहा है यह बकरा

Patna डेढ़ लाख से ज्यादा का बिक रहा है यह बकरा

पटना। ईद-उल-अदहा यानी बकरीद के नजदीक आते ही पशु (बकरा) विक्रेता ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए नई मार्केटिंग रणनीति अपना रहे हैं। कई व्यापारी परंपरा और तकनीक की गलबहियां डाले हुए बकरों की ऑनलाइन बिक्री भी कर रहे हैं। बकरीद को लेकर पटना के जगदेवपथ स्थित बकरी बाजार में पहली बार कश्मीरी दुम्बा आया है। इसकी कीमत 1.60 लाख रुपये है।

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बकरीद का त्योहार 13 सितंबर को है। कुर्बानी का यह त्योहार पटना में धूमधाम से मनाया जाता है। अच्छे नस्ल वाले बकरे उनके शारीरिक वजन और गुण के अनुसार, 20 हजार रुपये से लेकर 1.60 लाख रुपये के बीच बिक रहे हैं। पटना के बकरी बाजार में कश्मीरी दुम्बा के आ जाने से न केवल बाजार में खरीदारों की भीड़ उमड़ रही है, बल्कि महंगाई के इस दौर में जब खरीदार इन महंगे बकरों को नहीं खरीद पा रहे हैं तो अन्य कम कीमतों के बकरे खरीदकर बकरीद मनाने की तैयारी कर रहे हैं।

पटना के बकरी बाजार में इस वर्ष पहली बार कश्मीरी दुम्बा आया है। लोगों का कहना है कि कुर्बानी के लिए यह सबसे श्रेष्ठ प्रकार का पशु माना जाता है। दुम्बे बकरे की पूंछ नहीं होती, बल्कि उस स्थान एक मांस का लोथड़ा होता है। दुम्बा बकरा के मालिक पटना के राजाबजार के परवेज आईएएनएस को कहते हैं कि इस दुम्बा बकरे का बच्चा वह दिल्ली से लाए थे। दुम्बे बकरे की उम्र अभी करीब दो साल है, लेकिन इसका वजन कम से कम 100 किलोग्राम है।

उन्होंने कहा कि इसकी कीमत 1.60 लाख रुपये रखी गई है, लेकिन अभी तक उसके खरीदार नहीं आ सके हैं। उन्होंने कहा कि इसे ओएलएक्स पर भी डाला गया है। कई खरीददारों के फोन भी आए हैं, मगर सौदा अभी तक पटा नहीं है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मऊ के एक व्यापारी भी दो दुम्बा बकरा लेकर पटना पहुंचे हैं। इसमें एक नर और एक मादा है। इस दुम्बा का वजन भी करीब 100 किलोग्राम है। इसकी कीमत 1.70 लाख रुपये रखी गई है। इसका नाम ‘सुल्तान’ रखा गया है, जो अपने डील-डौल की वजह से बाजार आने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कई लोग सुल्तान के साथ सेल्फी भी ले रहे हैं।

इसके अलावा पटना के बकरी बाजार में हर नस्ल के बकरों का बाजार सजा हुआ है। इनमें मुख्य रूप से जमुनापरी (इलाहाबाद), अजमेरी (राजस्थान) एवं बरबरी (शाहजहांपुर, इटावा) जाति के बकरे ग्राहकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। ऐसा नहीं कि बाजार में केवल बाहर के ही बकरे हैं। स्थानीय बकरे भी यहां बेचे जा रहे हैं। स्थानीय बकरों की कीमत उसके वजन के अनुसार तय किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के इटावा से आए बकरा विक्रेता महबूब आलम कहते हैं कि वैसे तो वे करीब 15 बकरे लेकर यहां आए हैं, मगर दो बकरे बरबरी नस्ल के हैं, जिनकी कीमत 70 हजार रुपये हैं। उन्होंने बताया कि बकरे को तंदुरुस्त बनाने के लिए उन्हें न केवल बकरे को घी खिलाना पड़ता है, बल्कि उनके स्वास्थ्य का भी विशेष ख्याल रखा जाता है। वह कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि किसी भी बकरे में तत्काल मांस बढ़ जाए। इसके लिए दो साल पहले से ही तैयारी करनी पड़ती है।

वैसे बकरे के खरीदार इस महंगाई में बकरे को खरीदने से पहले अच्छे से मोलभाव कर रहे हैं। खरीदार अब्दुल करीम बताते हैं कि इस बार बकरीद के पर्व में महंगाई के कारण बजट कुछ गड़बड़ हो गया है, बकरे की कीमत भी बढ़ी नजर आ रही है। वैसे, कई खरीदार ऐसे भी हैं जो अच्छे बकरे के लिए कोई भी कीमत अदा करने को तैयार हैं।

पटना सिटी से बकरा खरीदने आए अब्दुल कादिर कहते हैं कि बकरा कुर्बानी के लिए लेना है, इसलिए वह अच्छा दिखने वाला और अधिक वजन वाले बकरे को खरीदना चाहते हैं। वह कहते हैं, “कीमत मेरे लिए कोई मुद्दा नहीं है।”

उन्होंने कहा कि वह यहां दुम्बा बकरा खरीदने आए हैं, अगर सौदा पट गया तो उसे खरीद लेंगे।

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