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ई-रिक्शा के लिए पहली बार जेल बैटरी लांच

The first launch of e rickshaws gel batteries ई-रिक्शा के लिए पहली बार जेल बैटरी लांच

नई दिल्ली। बेंगलुरू की ग्रीनविजन टेक्नोलॉजीज ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक जेल आधारित ‘वायजर’ बैटरी लांच किया है जो भारतीय सड़कों की हालत के हिसाब से ई-रिक्शा के लिए काफी मुफीद है। खास बात यह है कि इसके मेंटेनेंस की जरूरत नहीं है। ग्रीनविजन टेक्नोलॉजीज के प्रबंध निदेशक बिजू ब्रूनो ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “ई-रिक्शा बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए आवागमन का बेहतरीन साधन है, इसलिए मेट्रो शहरों में इसकी मांग तेजी से बढ़ी है। वर्तमान ने दिल्ली के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में यह काफी लोकप्रिय है। हम देश के ई-रिक्शा निमार्ताओं के साथ बात कर रहे हैं और इसमें काफी संभावनाएं हैं।”

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अनुमान है कि दिल्ली की सड़कों पर करीब 2 लाख ई-रिक्शा चलती हैं। प्रत्येक ई-रिक्शा में 4 बैटरियों की जरूरत होती है। वर्तमान में इन बैटरियों को हर छह महीने पर बदलना पड़ता है। इसलिए फिलहाल बाजार में 4 लाख सेट या 16 लाख बैटरियों की जरूरत है। जेल आधारित बैटरियां काफी हल्की और छोटी होती है तथा वे तेजी से चार्ज भी होती है। महज छह घंटों में ही इन बैटरियों को पूरी तरह चार्ज किया जा सकता है। ब्रूनो ने बताया, “वायजर बैटरियों की चार के सेट की कीमत 28,000 रुपये है और बाजार में उपलब्ध दूसरी बैटरियों के मुकाबले यह ज्यादा चलती है। यह पूरी तरह मेंटेनेंस-फ्री है। इसके साथ आए चार्जर से ही चार्ज करने पर यह बेहतरीन परिणाम देती है। चार्जर की कीमत करीब 3800 रुपये है।”

इलेक्ट्रिक वाहनों को सफल बनाने के लिए अच्छी बैटरी और बढ़िया चार्जिग स्टेशन की जरूरत होती है। ई-रिक्शा उद्योग की मुख्य चिंता बैटरी की तकनीक को लेकर होती है। उन्हें ज्यादा ऊर्जा वाली, ज्यादा देर तक चलने वाली, सुरक्षित और मजबूत बैटरियों की जरूरत होती है। भारतीय सड़कों खासतौर पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में चलने वाली ई-रिक्शा को अच्छी और टिकाऊ बैटरी प्रदान करने के लिए ग्रीनविजन टेक्नोलॉजीज के अनुसंधान एवं विकास विभाग ने जेल आधारित, मेंटनेंस-फ्री और किफायती बैटरियों को विकसित किया है, जिनकी क्षमता 100 एएच है। इसे रात भर चार्ज करने पर यह 80 किलोमीटर तक चल सकती है। ई-रिक्शा में इन बैटरियों के चार सेट की जरूरत होती है, जो अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में ज्यादा चलने का वादा करती है।

 

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