देहरादून। उत्तराखण्ड के राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल के निर्देशों पर राजभवन की उद्यान शाखा द्वारा राजभवन परिसर में मशरूम उत्पादन शुरू हो गया है। 10 जनवरी, 2017 को बोए गए बटन मशरूम की पहली फसल सोमवार को 26वें दिन उपयोग के लिए तैयार हो गई है। जिसे राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में मशरूम की खेती कोई नया प्रयोग नहीं है। पोषक तत्वों से भरपूर मशरूम के घरेलू उपयोग और व्यावसायिक खेती के प्रति जनसामान्य को जागरूक करने की दृष्टि से राजभवन द्वारा यह पहल की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जिन क्षेत्रों में महिलाएं और बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं उन क्षेत्रों में इसके उत्पादन पर और अधिक ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि मशरूम प्रोटीन, रेशा, फाॅलिक एसिड, कार्बोहाइड्रेट तथा अमीनो एसिड का बहुत ही अच्छा स्रोत है। इस शाकाहारी खाद्य की खेती उत्पादन में लागत बहुत कम है। इसके उत्पादन के लिए बहुत ज्यादा तकनीकी ज्ञान या बड़े भूखण्ड की जरूरत भी नहीं होती है। घरेलू उपयोग के लिए इसे आसानी से नियमित रूप से उत्पादित किया जा सकता है।
राज्यपाल ने उद्यान शाखा राजभवन के अधिकारियों को निर्देशित किया है आगामी चार-पांच मार्च को राजभवन में आयोजित होने जा रहे वार्षिक कार्यक्रम ‘वसन्तोत्सव प्रदर्शनी’ में राजभवन के इस प्रयास को विशेष रूप से प्रदर्शित किया जाए ताकि इसके घरेलू व व्यावसायिक खेती के लिए लोगों को आकर्षित किया जा सके।
राज्यपाल ने कहा कि विश्व में सर्वाधिक उत्पादित और सर्वाधिक लोकप्रिय मशरूम की खेती हर तरह से फायदेमन्द है। व्यावसायिक तौर पर मशरूम उत्पादन आम आदमी के लिए आमदनी का बेहतर जरिया बन सकता है क्योंकि इसकी मांग बाजार में हर मौसम में बनी रहती है और इसकी विभिन्न प्रजातियों से पूरे साल फसल ली जा सकती है। इसे घर के अन्दर सामान्य सी कोठरी में भी आसानी से उगाया जा सकता है इसलिए जंगली जानवरों से भी यह पूरी तरह सुरक्षित है। एक बार बीज(खुम्भ) डालने के बाद 55 से 60 दिन तक चार-पांच दिन के अन्तराल में चार-पांच फसलें लगातार ली जा सकती हैं।
राज्यपाल ने उद्यान विभाग से अपेक्षा की है कि मशरूम के घरेलू व व्यावसायिक उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए इसके उत्पादन के लिए आवश्यक प्रशिक्षण तथा राज्य सरकार से मिलने वाली सब्सिडी आदि के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु प्रदेश के सभी जिला उद्यान कार्यालयों को सक्रिय किया जाए।