नई दिल्ली। केंद्र सरकार जल्द अब आपके आवासीय और प्रोफेशनल एड्रेस को डिजीटल करने जा रही है। सरकार आधार की तरह ही लोगों के एड्रेस को डिजिटल वे में बनाना चाहती है। सरकार के इस नए फैसले को लेकर संचार मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले डाक विभाग को इस पायल’ट प्रॉजेक्ट के लिए आदेश दिया गया है। इसके तहत तीन पिन कोड की लोकेशन वाली प्रॉपर्टी के लिए छह अक्षरों वाले डिजिटल एड्रेस दिया जाएगा। सरकार के ई-एड्रेस लागू करने का मकसद प्रॉपर्टी से जुड़ी सभी जानकारियों को एक साथ जोड़ना है। इसमें प्रॉपर्टी का टाइटल,मालिकाना हक, प्रॉपर्टी टैक्स रिकॉर्ड, बिजली, पानी और गैस जैसी चीजों को उपभोग की जानकारी मिल सकेगी। वहीं अगर इस प्रॉजेक्ट को सफलता मिलती है तो सरकार इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू कर देगी।
खबरों की माने तो ई-लोकशन पायलट प्रॉजेक्ट की मंजूरी दिल्ली और नौएडा को दो पोस्टल पिन कोड के लिए दी गई है। इसके बाद इसका राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार किया जाएगा। डिजिटल पहचान के ई-एड्रेस, का इस्तेमाल मौजूदा पोस्टल एड्रेस के लिए भी किया जा सकेगा। डाक विभाग ने निजी मैपिंग कंपनी ‘मैपमाईइंडिया’ को इस पायलट प्रॉजेक्ट की जिम्मेदारी दी है। अतिरिक्त डायरेक्टर जनरल अभिषेक कुमार सिंह के हस्ताक्षर वाले पत्र को 27 सितंबर को मैपमाईइंडिया को भेजा गया है। पत्र में लिखा है कि इस योजना में जुटाए गए साक्ष्यों का इस्तेमाल डाक विभाग डिजिटल अड्रेस के लिए कर सकता है।
मौजूदा समय में देश में कई हिस्सों के अड्रेस का पता करना मुश्किल होता है। डाक विभाग द्वारा जारी पत्र में बताया गया है कि इस परियोजना का उदेश्य डिजिटल अड्रेसिंग सिस्टम के प्रभाव को दर्शाना भी है। डाक विभाग इस प्रक्रिया में डेटा शेयर कर मदद करेगा। मैपमाईइंडिया ने एक बयान जारी कर दावा किया है कि उसने डिजिटल अड्रेस के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी और डेटा जुटाना शुरू हो चुका है। बयान में कहा गया है कि कंपनी इसरो और नैशनल सैटलाइट इमैजरी सर्विस ‘भुवन’ के सहयोग से प्रभावकारी मैपिंग करेगी।