देहरादून। प्रकृति के साथ हो रहे दोहन और इसके चलते फैल रहे बदलाव को लेकर पर्यावरण को बचाने के लिए कई स्वयंसेवी संस्थाएं और लोग आगे आने लगे हैं। इन्ही संस्थाओं के चलते लोगों के बीच प्रकृति का प्रेम भी बढ़ने लगा है। इसी बात को लेकर ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ.हर्षवर्धन से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान इन दोनों के बीच पर्यावरण और स्वच्छता को लेकर काफी चर्चा भी हुई।
इस दौरान केन्द्र सरकार की गंगा की सफाई को लेकर स्वच्छ निर्मल गंगा योजना के बारे में बाद करते हुए इसके किनारों को हरित गलियाए के तौर पर विकसित करने की भी बात की गई। इस बारे में स्वामी चिदानंद मुनि ने केन्द्रीय मंत्री को सुझाव देते हुए कहा कि गंगा के साथ अन्य नदियों के तटों और किनारों को हरित गलियारे के तौर पर विकसित करने से पर्यावरण का संतुलन बना रहेगा। इसके साथ ही जलीय जीवन प्रदूषण से बचा रहेगा। उन्होने कहा कि लगातार धरती पर शुद्ध जल के वाहन के लिए और वातावरण में शुद्ध ऑक्सीजन के निरंतन प्रवाह के लिए भी यह गलियारा बहुत लाभदायक है। इसके लिए हमें साथ मिलकर एक अभियान चलाने की जरूरत है।
स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि पर्यावरण के सुरक्षित करना सभी का कर्तव्य है क्योंकि इसके बिना जीवन नहीं है। नदियों का वाहक स्थल पहाड़ है और अगर पहाड़ प्रदूषित है तो जल प्रदूषित होगा। हमें पहाड़ों से प्रदूषण को खत्म करना होगा। इसके साथ ही स्वामी जी ने आश्रम की ओर से इस सन्दर्भ में चलाए जा रहे कार्यक्रमों के बारें में कई जानकारियां केन्द्रीय मंत्री के साथ साझा की। इसके साथ ही उन्होने पर्यावरण के निमित्त एक रूद्राक्ष का पौधा भी भेंट किया है।