नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने अपनी तकनीकी क्षमता में वृद्धि करते हुए प्रतिदिन 9.6 किलोमीटर रेल लाइन बिछाना तय किया है जिसके चलते वह वर्ष 2017-18 में 3500 किमी रेल लाइन डालने का लक्ष्य रखा है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने यह बात गुरुवार को यहां रेल लाइन बिछाने की प्रौद्योगिकी के वैश्विक रुझान और निर्माण को गति देने के विषय पर आयोजित इंस्टीट्यूशन ऑफ पर्मानेंट वे इंजीनियर्स के अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में कही। उन्होंने कहा कि 2016-17 के दौरान, भारतीय रेलवे ने 7.8 कि.मी. प्रति दिन की दर से 2855 किलोमीटर की नई ब्रॉड गेज लाइन चालू की। वर्ष 2017-18 के लिए, 3500 किमी ट्रैक का लक्ष्य रखा गया है जो प्रति दिन 9.6 किलोमीटर प्रति उत्पादन में वृद्धि करेगा।
उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे एक विशाल संगठन है हमने प्रशासन सुधार लाकर पेशेवर स्तर पर निर्णय लिया है। रेलवे का विजन 2018-19 में 15 किमी और 2019-20 में 20 किलोमीटर प्रतिदिन उत्पादन हासिल करने का है यह राज्य संयुक्त उद्यम के माध्यम से कार्यान्वित होने के अलावा है। प्रभु ने कहा कि रेलवे जैसे संगठन को अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के माध्यम से ज्ञान को अवशोषित करके बदलने का प्रयास करना चाहिए। भारतीय रेलवे यातायात में तेजी से वृद्धि हुई है रेलवे की बुनियादी ढांचे की जरूरतों के मुताबिक विकास नहीं हुआ है। हम इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रभु ने कहा कि भारत एक अनोखा देश है इसलिए इसकी अपनी समस्याएं हैं। हमें अपनी समस्याओं के लिए अपना समाधान विकसित करने की कोशिश करनी चाहिए। हमें दक्षता के नए मानक बनाने की कोशिश करनी चाहिए, और अधिक गति लाने के लिए सभी पहलुओं में सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य-केंद्रीय सरकार के समन्वय और एक वित्तीय रूप से स्थायी मॉडल बनाने के लिए रेलवे ने एक एकीकृत उपनगरीय व्यवस्था व नए निवेश ढांचे का निर्माण किया है।
राज्यों के साथ साझेदारी में नई उपनगरीय प्रणालियों को लेने की नीति को मंजूरी दे दी गई है। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं को तकनीकी, वित्तीय और परिचालन व्यवहार्यता के आधार पर भारतीय रेलवे द्वारा माना जाएगा और एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) के माध्यम से किया जाएगा। एकीकृत उपनगरीय नीति पर्यावरण अनुकूल उपनगरीय रेलवे प्रणालियों के निर्माण के लिए पर्याप्त निवेश आकर्षित करेगी