नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड कांग्रेस नेता निर्मला देवी की जमानत से जुड़ी हुई झारखंड हाईकोर्ट के एक आदेश में जमानत देने और एक आदेश में जमानत खारिज करने की गलती को ठीक किया। जस्टिस एसए बोब्डे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने निर्मला देवी और योगेन्द्र साव को जमानत दी और हाईकोर्ट के आदेश में की गई गलतियों को भी ठीक किया।
बता दें कि निर्मला देवी की तरफ से वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने इस ओर सुप्रीम कोर्ट का ध्यान दिलाया। हाईकोर्ट का पहला आदेश चार पेजों का था, जिसमें नेताओं की जमानत खारिज की गई थी। उसके बाद दो पेजों का आदेश हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड हुआ जिसमें पचास हजार रुपये के मुचलके पर जमानत देने का जिक्र था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की इस गलती को गंभीर बताया और कहा कि ऐसी गलतियों से न्यायपालिका प्रशासन बदनाम होता है।
वहीं इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को इस मामले की जांच करने का आदेश दिया था कि किन परिस्थितियों में ये आदेश अस्तित्व में आए और किन परिस्थितियों में उन्हें अपलोड किया गया और हटाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस की रिपोर्ट को देखने के बाद इस मामले को निष्पादित करते हुए कहा कि अब इस पर कोई आदेश देने की जरूरत नहीं है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने दोनों नेताओं को एक-एक लाख रुपये के निची मुचलके पर जमानत दी। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को भोपाल में रहने का आदेश देते हुए कहा कि दोनों कोर्ट में उपस्थित होने के सिवाय झारखंड राज्य में प्रवेश नहीं करेंगे। कोर्ट ने निर्मला देवी को विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने की छूट देते हुए कहा कि जैसे ही वे झारखंड में प्रवेश करेंगी झारखंड पुलिस उनकी अगवानी करेगी और उसका खर्च झारखंड सरकार वहन करेगी। इस दौरान वे किसी गवाह से नहीं मिलेंगी और साक्ष्यों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करेंगी। कोर्ट दोनों को अपना पासपोर्ट सरेंडर करने का आदेश दिया।