नई दिल्ली। राजधानी प्रदूषण के नाम पर हमेशा से बदनामी झेलती आई है, लेकिन इस बार प्रदूषण का कहर इस कदर बरपा कि दिल्ली वालों के लिए त्यौहार मनाना मुश्किल हो गया।वायु प्रदूषण पर नजर रखने वाली केंद्र सरकार की एजेंसी ‘सफर’ (सिस्टम ऑफ एयर क्वॉलिटी ऐंड वेदर फॉरकास्टिंग ऐड रिसर्च) ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी में हवा की क्वॉलिटी खराब हो गई है और अगले कुछ दिनों में हालात और खराब होंगे।
वायु गुणवत्ता सूचकांक के खराब होने का मतलब है कि लोग यदि ऐसी हवा में लंबे समय तक रहें तो उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब दिल्ली प्रदूषण की बात इस तरह सामने आई, लेकिन लेवल इतना ज्यादा बढ़ गया कि सरकार को सख्त कदम उठाना पड़ा।दिवाली के मौके पर पटाखों के कारण होने वाले प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 1 नवंबर तक के लिए दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी।
इसके साथ ही इस प्रतिबंध को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की तरफ़ से जारी किए गए सारे स्थाई और अस्थाई लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के आदेश दिए। हालांकि रोक सिर्फ बिक्री पर लगी थी, इस्तेमाल पर नहीं। पुलिस को जिम्मेदारी दी गई की कोई भी पटाखों की अवैध ब्रिक्री ना हो पाए।
इससे पहले 12 सितंबर 2017 के अपने आदेश में कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री को शर्तों के साथ इजाज़त दी थी। इसका मतलब ये था कि 1 नंवबर से पहले जिन लोगों ने पटाखे खरीद लिए थे वो उन्हें जला सकते थे, लेकिन उसके बाद किसी को भी पटाखे खरीदने की इजाजत नहीं थीं।
इसमें एक केस सामने आया था जिसमें तीन बच्चों की ओर से पटाखों की बिक्री पर बैन लगाने की याचिका दायर की गई थी। उनके फेफड़े दिल्ली में प्रदूषण के कारण ठीक से विकसित नहीं हो पाए थे। पटाखों पर बैन लगने के बाद उनके अंदर खुशी हुई थी।
इस बात पर गौर 2016 की दीवाली से दिया गया और कोर्ट को ये फैसला करना पड़ा। 2016 की दिवाली के बाद दिल्ली के कई इलाकों में प्रदूषण उच्चतम स्तर तक पहुंच गया था और इसलिए पटाखों पर बिक्री के आदेश कोर्ट को देने पड़े थे।
एक तरफ जहां पटाखों के बैन से कुछ खुश थे तो कुछ निराश हो गए। पटाखा विक्रेताओं के लिए असमंजस की स्थति बन गई।कोर्ट का ये फ़ैसला उन तमाम पटाखा विक्रेताओ के लिए परेशानी ले कर आया है, जिनके दुकान पटाखों से भरे पड़े हैं। ऑनलाइन पटाखे विक्रेता का कहना था कि इससे काम बंद हो जाएगा और कारीगरों का काम छिन जाएगा। दीवाली के वक्त कई लोगों को रोजगार मिलता है जो साल भर खाली बैठे रहते हैं।
पटाखों पर लगा बैन कुछ ज्यादा खास रंग नहीं दिखा पाया।दिवाली के अगले दिन भी आसमान में धूंध देखी गई।हालांकि थोड़ी बहुत कमी तो आई, लेकिन फिर भी कुछ सफलते नहीं मिली। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के आंकड़े में सामने आया कि शाम छह बजे तक वायु और ध्वनि प्रदूषण कम था, लेकिन रात 11 बजे के क़रीब ये काफी बढ़ गया।
PM लेवल यानी वो स्तर, जिसके तहत हवा में धूल-कण की मात्रा को नापा जाता है. PM 2.5 को 60 µg/m3 और PM 10 का सही स्तर 100 µg/m3 को माना जाता है. यानी इस दिवाली में भी प्रदूषण का स्तर सामान्य से दस गुना ज़्यादा रहा।पटाखों पर लगे कोर्ट के बैन के बाद भी जमकर आतिशबाजी देखने को मिली और प्रदूषण का स्तर वैसा का वैसा ही बना रहा।