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कई परेशानियों के बाद बनी सुपर मॉडल, कुछ ऐसी है ऐज्या नाज़ जोशी की कहानी

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आज तक हमने केवल ट्रांसजेंडर के बारे में सुना है, उन्हें भीख मांगते, डांस करते या वेश्यावृत्ति करते देखा है। बचपन में हम सभी किन्नरों से डरते थे, लेकिन आज ट्रांसजेंडर समाचार एंकर, महापौर, स्कूल के प्रिंसिपल, कोर्ट जज, मॉडल और ब्यूटी क्वींस हैं। ऐसी ही एक बयूटी क्वीन हैं ऐज़्या नाज जोशी, ये हिंदू मुस्लिम समुदाय में एक ट्रांसजेन्डर के रूप में पैदा हुई थीं। नाज का ये रूप उनके परिवार के लिए हमेशा ही बड़ी शर्मिंदगी की बात रहा। उनके स्कूल के बच्चों ने उन्हें छक्का, किन्नर, नपुंसक और ना जाने क्या- क्या नहीं बुलाया। उनके पास एक अच्छा बचपन नहीं था क्योंकि वह पिछड़े समाज में बड़ी हुईं।

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स्कूल में उनका कोई भी दोस्त नहीं था, बचपन में अपने स्कूल के शिक्षकों और दूर के रिश्तेदारों के द्वारा ये यौन उत्पीड़न का शिकार रहीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनका कहना है की उन्होंने शायद ही बचपन देखा है। उनके इस रूप के कारण उनके घरवालों ने उन्हें एक दूर के रिश्तेदार के पास मुंबई भेजा दिया जहां उन्होंने ओपन स्कूल शिक्षा के माध्यम से अपनी उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी की। वह अपने अध्ययन के लिए ज्यादा समय नहीं दे सकी क्योंकि उनका अधिकांश समय रेस्तरां, ढाबों में अंशकालिक नौकरियां करने में चला जाता था।

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अपनी किशोरावस्था में उन्होंने पैसे कमाने और अपना जीवन चलने के लिए बार डांसर के रूप में भी काम किया। इसी दौरान इन्होंने एक रियेलिटी शो में भी भाग लिया जिसमें ये अनु कपूर जैसी हस्तियों के साथ थीं, कला और रचना के प्रति उनके प्रेम के चलते उन्होंने 1999 में एनआईएफटी की प्रवेश परीक्षा दी, जहां उन्होंने एक डिजाइनर बनने का फैसला किया। उन्होंने फैसला लिया कि वो इस फैशन स्कूल में अपने लिंग को छुपा कर रखेंगी ताकि वह एक शांतिपूर्ण जीवन का नेतृत्व कर सकें और फिर से उन्हें वही सब परेशानियों का सामना न करना पड़े।

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निफ्ट 2001 के स्नातक कार्यक्रम में उन्हें सबसे रचनात्मक डिजाइनर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने भारत के दो शीर्ष सबसे प्रमुख डिज़ाइनर्स “रितु कुमार” और “रितु बेरी” के यहां नौकरी भी मिली। साथ ही उन्होंने अपने भाई के साथ मिलकर एक बड़े फैशन पहनावे लेबल कंपनी की शुरुआत की, लेकिन उनके भाई के अचानक निधन से वह टूट गयीं और उनके इस व्यापर का वहीँ अंत हो गया। इसके बाद उन्होंने 6 वर्षों तक अपना जीवन पोषण करने के लिए वेश्यावृत्ति की। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय, जिसमे ट्रांसजेंडर्स को तीसरे लिंग के रूप में स्वीकारा गया, के पश्चात इन्होंने 2015 में फैशन गुरूकुल नामक फैशन डिजाइनर स्कूल खोलने का पहला कदम उठाया।

 

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उसी वर्ष, इनके जज़्बे और हौसले पर मीडिया की नज़र पड़ी और इन्हे एक अखबार ने अपने पर कवर पेज पर रखने का फैसला किया। ये नाज़ के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। तब से नाज को आगे बढ़ने में कोई कठिनाइ नहीं आई।वह 2014 में पग को बचाने और राजस्थान डिजाइनर त्यौहार 2014 के लिए शो स्टॉपर सहित कई रैंप शोज में नज़र आई। उन्होंने एमआईएचएम (MIHM) नामक, विवाहित भारतीय महिलाओं के लिए एक मंच शुरू किया।

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इस सौंदर्य प्नतियोगीता में Mrs इंडिया होम माकर्स के माध्यम से विवाहित भारतीय महिलाएं अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकती हैं। महज डेढ़ साल में नाज ने एमआईएचएम लेबल के तहत 6 सौंदर्य प्रतियोगिताएं की है और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रतिस्पर्धा के लिए 18 से अधिक महिलाएं भेज चुकी हैं। नाज ने खुद Ms रिपब्लिक इंटरनेशनल ब्यूटी एम्बेसडर 2017 शीर्षक और एमएस संयुक्त राष्ट्र एम्बेसडर का शीर्षक जीता है। इन्होंने इलीट ग्लोबल अर्थ लाइफ टाइम का खिताब भी जीता है। हाल ही में वह फैशन इंडस्ट्री पर राज करने वाली दक्षिण एशियाई ट्रांसजेन्डर मॉडल्स की रैंकिंग में शीर्ष 5 में शामिल थीं। नंबर एक पर नेपाल के साथ, नंबर 2 पर पाकिस्तान और नंबर 3 पर नाज़, इस ट्रांस महिला ने ये साबित कर दिया है कि कट्टर समर्पण और जुनून के माध्यम से भाग्य को बदला जा सकता है और यह केवल तीसरे लिंग के लोगों के लिए एक प्रेरणा नही है, बल्कि ये प्रेरणा हैं पूरे समाज के लिए।

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अपनी कमजोरियों को शक्तियों में परिवर्तित करो और आकाश की सीमाओं को छुओ, यही नाज़ का कहना है। नाज़ एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं और अपनी सौंदर्य प्रतियोगिताओं के माध्यम से एनजीओ के लिए पैसे जमा करती हैं और पूरी मदद करती हैं उन लोगों की जो की विशेषाधिकार से वंचित हैं। उनका उद्देश्य उन लोगों को भी खुशी का बांटना है, जिन्होंने शायद उस वक़्त उनकी मदद नहीं की, जिस वक़्त वो मुसीबत में थीं और उन्हें समर्थन की सबसे ज़्यादा ज़रुरत थी।

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