नई दिल्ली। केन्द्रीय खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने राज्य सरकारों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की दुकानों के आवंटन में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को आरक्षण देने के लिए तुरंत कदम उठाने को कहा है। श्री पासवान ने शुक्रवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य सरकारें इन वर्गों को नौकरियों में जितना प्रतिशत आरक्षण देती है उतना ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों के आवंटन में देना चाहिये। राज्य सरकारें इन दुकानों के आवंटन के लिए लाइसेंस जारी करती है| इसलिए उन्हें ही आरक्षण लागू करना होगा।
बता दें कि पासवान ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत देश भर में मिलने वाले अनाज के मूल्यों में जून 2018 तक कोई बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया है। खाद्य वस्तुओं के पैक पर अधिकतम खुदरा मूल्य, कुल मात्रा और उपभोक्ता सहायता संबंधी विवरण के लिए अक्षरों और अंकों के आकार प्रदर्शित करने का अनुपालन करना होगा।
उन्होंने बताया कि पूर्व निर्मित, पैकबंद अथवा न बिकी हुई वस्तुओं पर जीएसटी के कारण कर की बढ़ी दर को शामिल करते हुए 30 सितम्बर, 2017 तक 3 माह की अवधि के लिए परिवर्तित खुदरा बिक्री मूल्य की घोषणा की जा सकती है। सरकार ने ऐसी परिवर्तित खुदरा बिक्री मूल्य की घोषणा, मोहर लगा कर अथवा स्टीकर चिपका कर या ऑनलाइन करने की अनुमति दी है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि अधिकतम खुदरा मूल्य संबंधी यह घोषणा पहले से छपे अधिकतम खुदरा मूल्य के अतिरिक्त होगी।
वहीं उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम – नवम्बर, 2016 से पूरे देश में लागू हो गया है जिसके अंतर्गत पात्र परिवारों को 1/- रुपये प्रति किलो की दर से मोटा अनाज, 2/- रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं और 3/- रुपये प्रति किलो की दर से चावल दिया जाता है। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार इसके लागू होने के 3 वर्ष पूरे होने पर अनाज के मूल्य संशोधित किए जाने थे, किन्तु केन्द्र सरकार ने जून, 2017 तक उनमें कोई बदलाव नहीं किया। अब सरकार ने उनमें जून, 2018 तक कोई बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया है। सरकार के इस निर्णय से 80 करोड़ 55 लाख व्यक्तियों को और एक वर्ष तक यह लाभ मिलता रहेगा।
साथ ही पासवान ने बताया कि ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर बिक्री की जाने वाली वस्तुओं के लिए पैकबंद वस्तुओं के नियमों में अपेक्षित घोषणाओं का उल्लेख किया जाना अनिवार्य किया गया है। उन्होंने बताया कि अधिकतम खुदरा मूल्य के संबंध में स्थिति को और अधिक स्पष्ट करने के लिए नियमों में विशेष उल्लेख किया गया है। “ कोई भी व्यक्ति प्रतिबंधित व्यापार पद्धति या व्यापार के अनुचित तरीके अपनाकर, जैसा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में परिभाषित किया गया है, पहले से पैकबंद एक समान वस्तुओं के लिए अलग-अलग अधिकतम खुदरा मूल्य घोषित नहीं करेगा। उद्योगों के हित में कुल मात्रा की जांच को और अधिक वैज्ञानिक बनाया गया है।