नई दिल्ली। तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। जिसका पूरे समाज ने स्वागत किया। लेकिन तीन तलाक के खिलाफ आवाज उठाने वाली इशरत जहां की लड़ाई यहीं खत्म नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इशरत को समाज के बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है। इशरत के लिए ये लड़ाई कोर्ट से ज्यादा मुश्किल होने वाली है। उन्हें गंदी औरत, इस्लाम की दुशमन जैसे ताने सुनने पड़ रहे हैं।
वहीं इशरत ने न सिर्फ तीन तलाक ब्लकि अपने गरीबी व्यक्तिगत जीवन के खिलाफ भी देश की सबसे बड़ी अदालत में लड़ाई लड़ी है। इशरत ने हिम्मत दिखाते हुए हर तरह की आलोचना का सामना किया। लेकिन इशरत ने अपना फैसला नहीं बदला और इशरत की इस लड़ाई का फायदा देश की हर उस मुस्लिम महिला को मिलेगा जो तीन तलाक का दुख झेल रही हैं या झेल चुकी हैं। जहां पूरा देश इशतर के इस हौसले की सराहना कर रहा है तो वहीं उन्हें बदनाम किए जाने का भी अभियान चलाया जा रहा है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद के बाद बुधवार को भी तीन तलाक को एक मामला सामने आया था। यह मामला यूपी के मेरठ से सामने आया जहां पर गर्भवती महिला को दहेज के लिए प्रताडित किया जाता था और दहेज की मांग पूरी ना होने पर आरोपी पति ने पीड़िता के साथ मारपीट की, मारपीट के दौरान पीड़िता का गर्भपात हो गया। दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद आरोपी पति ने पीड़िता को तीन तलाक के दिया था। जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।