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बद्री गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए तैयार हुआ विशेष प्रोजेक्ट

pashupalan बद्री गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए तैयार हुआ विशेष प्रोजेक्ट

देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ अद्भुत और अद्वितीय औषधियों के लिए जाना जाता है। ऐसी दिव्य धरती में कुदरत ने एक खास वरदान दिया है। हम बात कर रहे हैं गौ माता की…गाय के रूप में ईश्वर ने धरती के प्राणियों को औषधिए का एक खजाना भेजा है। लेकिन देवभूमि उत्तराखंड में इस अमृत वाहिनी गौ माता के स्वरूप में एक ऐसा दिव्य अद्वितीय औषधियों का खजाना भेजा है। जिसके गुणों को देखने के बाद लगता है कि देवभूमि पर वाकई में ईश्वर की कृपा है। हम बात कर रहे है देवभूमि उत्तराखंड की धरती पर पाई जाने वाली गाय की प्रजाति बद्री गाय की ।

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इस गाय को लेकर यूकॉस्टा और आईआईटी रूड़की के वैज्ञानिकों ने कई प्रयोग भी किए हैं। खास तौर पर इस गाय के दूध को लेकर ये प्रयोग हुए हैं। इस प्रयोगों और शोधों के बाद कुछ आश्चर्य जनक तथ्य सामने आए हैं। शोध के जरिए पता चला है कि इस गाय के दूध में 90 फीसदी तक ए-2 जीनोटाइप बीटा केसीन पाया जाता है। ये पदार्थ मधुमेह और ह्रदय रोगों की रोकथाम के लिए बहुत ही कारगर होता है। इसके साथ ही मानव शरीर के लिए बहुत ही ज्यादा लाभकारी होता है। देवभूमि उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में परम्परागत तौर पर इस गाय को पालन होता है। यह गाय एक दिन में 3 किलो तक दूध देती है। इसका दूध पीलापन लिए हुए बहुत ही गाढ़ा होता है।

बद्री गाय के दूध में पाया जाना वाला खास पदार्थ
यूं तो गाय के दूध में मानव जीवन के लिए कई अनमोल औषधियां होती हैं। लेकिन देवभूमि में पायी जाने वाली बद्री गाय में अन्य दुधारू पशुओं की अपेक्षा 12 प्रकार के बीटी केसीन पाए जाते हैं। इन सभी की जेनेटिक भिन्नता भी अलग-अलग होती है। लेकिन इनमें पाये जाने वाले ए-1 और ए-2 बीटा केसीन मुख्य होते हैं। इसके साथ ही इसमें ए-3 से ए-12 तक बीटा केसीन की मात्रा बेहद कम होती है। दूध में मुख्य तौर पर प्रोटीन के मुख्य घटक केसीन ही होते हैं। यूकॉस्ट के शोधों में पता चला है कि 90 फीसदी तक ए-2 जीनोटाइप बीटा केसीन केवल बद्री गाय के दूध में ही मिलता है। यह स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद ही आवश्यक पदार्थ होता है।

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पशुपालन विभाग कर रहा है संरक्षण
आमतौर पर गुणों और औषधि की खान इस पहाड़ी बद्री गाय को देवभूमि और पहाड़ों पर अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ माना जाता है। क्योंकि इस गाय के गोबर से लेकर दूध तक कृषि की अर्थव्यवस्था से जुड़े होते हैं। इसके साथ ही इस गाय का खान-पान और रख रखाव भी बजट में होता है। इस गाय की मुख्य आहार हरी और सूखी घास होती है। लेकिन अगर देखा जाए तो बेहतर दूध और क्लालिटी के लिए अन्य दूसरी नस्लों की गायों को दाना,खल आदि दूसरी चीजों की जरूरत होती है। हांलाकि दूध का मूल्य भी सभी का बराबर होता है। लेकिन खर्च के लिहाज से बद्री गाय सस्ती और गुणी होती है। अब इस गाय को लेकर सूबे का पशुपालन विभाग सक्रिय हो गया है। सूबे के कृषि विभाग और पशुपालन विभाग के सचिव आर. मिनाक्षी सुन्दरम् के प्रयासों के बाद सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गाय की तमाम नस्सों के बीच अब देवभूमि का वरदान साबित हो चुकी बद्री गाय को एक नई पहचान देने की कवायद शुरू कर दी है। इसको लेकर पशुपालन सचिव आर.मिनाक्षी सुन्दरम् ने विभाग को निर्देशित करते हुए इस गाय के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक विस्तृत प्रोजेक्ट बनाना का काम सौंप दिया है। बद्री गाय के दूध में पाये जाने वाले ए-2 पदार्थ के कारण विदेशों में इसके दूध की मांग ज्यादा है। इसके लिए अब कृषि विभाग बद्री गाय का एफपीआर यानी फिल्ड परफॉरमेंस रिकार्ड तैयार करने में जुटी हुई है। जिससे इसकी उन्नत नस्ल को तैयार किया जा सके। इसके लिए विभाग जिलेवार ऐसी बद्री गायों के चयन का काम शुरू करने जा रहा है। जो सबसे अधिक दूध देती है। इनका चयन कर कृषि विभाग इन्हे चंपावत स्थित नरियाल गांव में रखेगा। जहां पर गायों के जैनेटिक आदि तमाम परीक्षण होंगे। इन परीक्षणों के बाद इन गायों को प्रजनन के लिए तैयार किया जाएगा। इन गायों के नर बछड़ों की नस्लों में सुधार कर उनको तैयार किया जाएगा। जिससे उच्च गुणवत्ता की बद्री गाय तैयार की जा सके।

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इस प्रोजेक्ट के बारे में भारत खबर में पशुपालन विभाग के सचिव और इस प्रोजेक्ट में कर्ताधर्ता आर मिनाक्षी सुन्दरम से बातचीत की तो उन्होने बताया कि इस बारे में भारत सरकार को एक प्रोजेक्ट भेजा गया था। जिसमें करीब 50 लाख का फंड हमारे प्रोजेक्ट को दिया गया है। इसके तहत देवभूमि उत्तराखंड के करीब 70 ब्लाकों में बद्री गाय का पालन होता है। अमूमन ये गाय 2 लीटर तक दूध देती है। लेकिन इस प्रोजेक्ट के तहत ऐसी गायों के तलाशा गया है। जिसमें 5 लीटर तक दूध मिला है। हर ब्लाक स्तर पर 5 गायों को चयनित किया गया है। इन गायों को पशुपालन विभाग अपनी देख रेख में रखेगा और इनका संरक्षण के साथ संवर्धन का काम करेगा। जिसमें प्रत्येक दिन इनके दूध की टेस्टिंग का काम किया जायेगा। इसके साथ ही इसकी गुणवत्ता भी मापी जायेगी। इसके बाद इसी प्रोजेक्ट से जुड़ा एक ओर प्रोजक्ट है ब्रीडिंग का जिसमें हमारे साथ यूएस की एक कंपनी भी काम करेगी। इसमें सीमन की क्वालिटी को बेहतर बनाकर ऐसा तैयार करना कि ज्यादा से ज्यादा गुणवत्ता वाली गायों का ही प्रजनन हो ना कि बछडों का और इसके साथ ही पहले प्रोजेक्ट के लिए इसी के तहत बेहतर नस्ल सुधार के लिए अच्छे किस्म के बछड़ों को भी तैयार करना है। ये प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट 2022 तक किसानों की आय दूना करने में बहुत कारगर होगा।

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