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एशियाई देशों के लिए स्लम क्षेत्र सबसे बड़ी चुनौती

slum coleny एशियाई देशों के लिए स्लम क्षेत्र सबसे बड़ी चुनौती

नई दिल्ली। आठ एशियाई देशों ने लगातार बढ़ रही शहरों की आबादी और शहरों में बढ़ रहे स्लम क्षेत्रों पर चिंता जताई है। एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों ने यहां आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन में बेढंगे तरीेके से बढ़ रहे शहरों में बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने पर जोर दिया। सम्मेलन में केंद्रीय शहरी विकास राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि अविकसित देशों में लोगों के हो रहे पलायन को रोकना बेहद जरूरी है, ताकि स्लम क्षेत्र को बढ़ने से रोकने में मदद मिलें।

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राव ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों से हो रहे लोगों के पलायन के कारण शहरों की ढांचागत स्थिति चरमरा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध न होने के कारण लोग शहरों में जाने को मजबूर हैं। इसके कारण शहरों में स्लम एरिया में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। राव ने कहा कि आबादी के हिसाब से शहरों में जिस अनुपात में स्कूल, कालेज, अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाएं होनी चाहिए, वह उपलब्ध नहीं हो पा रही है। इससे लोगों की समस्याएं दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि अगर पलायन को नहीं रोका गया तो वह दिन दूर नहीं जब शहरों की आबादी गांवों की आबादी से ज्यादा हो जाएगी। इसलिए शहरों को लोगों के रहने लायक बनाना सभी देशों का कर्तव्य है।

संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ मानव पुनर्वास अधिकारी ब्रूनो डेरकॉन ने कहा कि इरान अपने शहरों के ढांचे में सुधार कर रहा है। कोरिया भी शहरों के ढांचे में ज्यादा से ज्यादा सुधार के लिए वित्तीय संसाधन बढ़ा रहा है।

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