नई दिल्ली। भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाला पर्व है। दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाने वाला ये त्योहार भाई बहन के प्रेम को मजबूत करता है। भाई
दूज के दिन बहनें भाई को रोली चावल से टीका करके उसके सुखद भविष्य की कामना करती है। इसके बाद भाई अपनी बहन को उपहार को देता है। इस दिन भाइयों का बहन के घर भोजन
करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
भाई दूज की कथा:-
भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उन्होंने यमराज और यमुना को जन्म दिया था। यमुना यमराज को बहुत प्रेम करती थी। वो अक्सर यमराज को घर आकर भोजन करने के लिए
कहा करती थी, लेकिन यमराज सदैव उनकी बात को अनसुना कर देते थे। कार्तिक शुक्ल के दिन यमुना ने यमराज को अपने घर आकर भोजन करने का वचन लिया। यमराज ने सोचा कि मैं
तो प्राणों को हरने वाला हूं, इसलिए कोई भी मुझे अपने घर नहीं बुलाना चाहता। मुझे बहने के घर जाकर उनकी बात का मान रखना चाहिए।
यमराज को घर आता देखकर यमुना बहुत खुश हुई। उसने भाई को प्रेमपूर्वक भोजन कराया। यमुना के अतिथि सत्कार से खुश होकर यमराज ने बहन से कोई वर मांगने को कहा।यमुना ने
कहा कि भाई आप हर साल इस दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना
को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को
यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।
पूजन विधि और शुभ मुहूर्त:-
-1 बजकर 09 मिनट से लेकर 3 बजकर 20 मिनट तक तिलक का बेहद शुभ मुहूर्त है।
– इस दिन बहनें भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारकर हथेली पर कलावा बांधती है।
-शाम के समय बहनें घर के बाहर यमराज के नाम से चारों दिशाओं में दीपक जलाकर रखती हैं।
-इस दिन उड़ता हुआ चील देखना बहुत अच्छा माना जाता है।
– ऐसा माना जाता है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो प्रार्थना कर रही हैं उसे यमराज ने मान लिया है।