नई दिल्ली। संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए 9/11 और भारत के लिए 26/11 ये दो तारीखे ऐसी है जिसे दोनों देश चाहकर भी नहीं भूला सकते। 9/11 के हमले को सोमवार को 16 साल हो गए हैं। लेकिन उस मनहूस दिन से जुड़े मरने वालों के आंकड़े और करोडों का नुकसान वो भयानक हमला भूलने नहीं देता। न्यूयॉर्क जिस वर्ल्ड ट्रेड सेंटर कोन को अपनी शान समझता था उसे आतंकियों ने विमानों का मिसाइल इस्तेमाल कर परभर में राख का ढेर बना दिया था।
जाने क्या हुआ था 9/11 के उस भयानक दिन में
बता दें की 11 सितंबर को साल 2001 में संयुक्त राज्य अमेरिका पर अल-कायदा द्वारा एक अत्मघाती हमला किया गया था। जिसे अमेरिका आज तक भूला नहीं पाया है। 9/11 आते ही अमेरिका के जख्म ताजा हो जाते हैं। उस दिन सवेरे 19 अल कायदा आतंकियों ने चार वाणिज्यिक यात्री जेट एअरलाइंस को अगवा कर लिया था। अगवा करने वाले आतंकियों ने जानबूझ कर दो विमानो को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, न्यूयॉर्क शहर के ट्विन टावर्स के साथ टकरा दिया था। जिससे विमानों में सवार यात्रियों के साथ-साथ भवनों के अंदर मौजूद अनेक लोग भी मारे गए थे। दो घंटे अंदर दोनों भवन और आस पास की इमारते तबाह हो गई। तीसरे विमान को आतंकियों ने बस वाशिंगटन डी.सी. के बाहर, आर्लिंगटन, वर्जीनिया में पेंटागन में टकरा दिया। उस हमले में मारे गए 2,977 पीड़ितों में से न्यूयॉर्क शहर तथा पोर्ट अथॉरिटी के 343 अग्निशामक और 60 पुलिस अधिकारी थे। पेंटागन पर हुए हमले में 184 लोग मारे गए थे। हताहतों में 90 देशों के नागरिकों ने अपनी जान गंवाई।
जहां एक तरफ वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमले की दसवीं बरसी पर राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कसम खाई थी कि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में कोई कमी नहीं आने देगा तो वहीं दूसरी तरफ पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश ने कहा कि अमेरिकी 9/11 और उस वक्त बहादूरी से काम करने वालों को अमेरिका कभी भूल नहीं पाएगा। उस हमले में अमेरिका ने बहुत कुछ खोया था। हमले की वजह से 10 अरब की प्रॉपर्टी और इंफ्रास्ट्रक्चर बर्बाद हो गया। 3.2 करोड़ वर्ग फुट ऑफिस स्पेस खत्म हो गया था। सात दिनों के अंदर 1.4 लाख करोड़ अमेरिकी शेयर डूब गए थे।
वहीं उस दिन दुनिया पर धाक जमाने वाला अमेरिका पूरी तरह थर्रा उछा था। उस हमले ने अमेरिका को तोड़कर रख दिया था। अलकायदा के आतंकियों ने चार यात्री विमान अगुआ कर भारी तबाही मचाई। चार में से दो विमान न्यूयॉर्क शहर में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से टकरा गए। तीसरा पेंटागन पर और चौथा विमान जंगल में गिरा दिया गया। इस वहशीपन को अंजाम देने वाले 19 आतंकियों को मरना ही था। राष्ट्रपति बुश ने अफगानिस्तान में अपनी सेनाएं भेजी थीं, ताकि ओसामा और उसके साथियों का पता लगाया जा सके, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। ओसामा को तलाशने के लिए बुश ने अरबों डॉलर फूंक दिए लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हुआ और एस तलाश में सिर्फ निर्दोष नागरिक ही हताहत हुए। बुश को ये तक पता नहीं चला कि ओसामा जिंदा है या मारा गया। लेकिन आखिर नए राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उसे ढूंढ लिया और पाकिस्तान के एबटाबाद में एक गुप्त कार्रवाही में उसे मार गिराया था।