नई दिल्ली। 15 अग्सत की रात भारत के लिए बहुत कीमती थी। आजादी की इस रात की कीमत बहुत ज्यादा थी और इस कीमत का अंदाजा उन लोगों को सबसे ज्यादा पता था जिन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए अपनी जान हंस्ते-हंस्ते कुर्बान कर दी थी। माहात्मा गांधी ने इस कीमत को समझते हुए इसका जश्न मनाने तक से इंकार कर दिया था। क्योंकि भारत को आजाद कराने के लिए देश को अपने कितने जवानों की वलि देनी पड़ी इसकी शायद कोई गिनती भी नहीं कर सकता। महात्मा गांधी को आजादी की खुशी तो थी ही लेकिन साथ ही जवानों के शहीद होने का दुख भी था। जिसकी वजह से गांधी जी ने जश्न मनाने से मना कर दिया था। इतना ही नहीं गांधी जी ने इस रात 24 घंटे का उपवास रखकर देशवासियों को यह संदेश देने की कोशिश की थी कि आजादी की असली सुहब अभी बाकी है।
इसी रात को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लोगों को ऐतिहासिक भाषण देकर आजादी का महत्व समझाया और लोगों को बताया कि 15 अगस्त की रात देशवासियों के लिए कितनी कीमती है। भारत के आजाद होने की खुशी में 15 अगस्त को संसद भवन में एक जश्न का कार्यक्रम रखा गया। और इस जश्न की औपचारिक शुरूआत संसद भवन से की गई। इस जश्न में लोगों ने खुशी तो मनाई साथ ही शहीदों को श्रद्धाजंलि भी दी। इसके साथ ही इसी रात महात्मा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नयी दिशा देनी की तैयारी की। जब 8 अगस्त 1942 को अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत का फैसला कांग्रेस की बैठक में लिया गया।
वहीं इसी रात को भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के लिए हामी भरी गई। इस विभाज के लिए मतदान किया गया जिसमें महात्मा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपना समर्थन दिया। इस रात गफ्फार खां, महात्मा गांधी ऐर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने एक साथ मिलकर कई मुद्दों पर चर्चा की। इसी रात को भारत पाकिस्तान के बंटवारे के लिए लॉर्ड माउंटबेटन के साथ पंडित जवाहर लाल नेहरी और मोहम्मद अली जिन्ना ने बैठक कि जिसमें उन्होंने भारत पाक के विभाजन को लेकर फैसला लिया। इस सब के बाद 30 जनवरी को पंडित जवाहर लाल नेहरू को महात्मा गांधी की हत्या की खबर मिली जिसको सुनकर वो आनन-फानन में बिड़ला भवन से बाहर आए। महात्मा गांधी की मौत से नोहरू को बहुत बड़ा धक्का लगा था।
रानी नाक़वी