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मुम्बई। गणपति पूजा हो और महाराष्ट्र की माया नगरी मुम्बई के लालबाग च राजा का जिक्र ना हो तो माने गणपति उत्सव पूरा ही नहीं हुआ। मुम्बई का सबसे प्रसिद्ध लोकप्रिय गणेश मंडल का अगर नाम लिया जाए तो लालबाग का राजा सबसे ऊपर आता है। इस मंडल की स्थापना साल 1934 में हुई थी। ये पूजा मंडल मुंबई के लालबाद परेल के इलाके में स्थित है। मान्यता है कि यहां पर दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। यहां दर्शन पाना अपने आप में सबसे ज्यादा ही महत्वपूर्ण है। बताया जाता है कि लोग यहां एक बार दर्शन मात्र के लिए घंटों लाइन में खड़े रहते हैं। यह गणेश उत्सव मंडल 10 दिवसीय कार्यक्रम का हर गणपति उत्सव पर आयोजन करता है।

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इस मंडल की स्थापना उस वक्त हुई थी। जब हमारा देश ब्रिटिश हुकूमत का गुलाम था। लोकमान्य तिलक ने स्वतंत्रता संग्राम में लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक गणेशोत्सव के आयोजन करने का विचार रखा तब पूर्व पार्षद श्री कुंवरजी जेठाभाई शाह, डॉ॰ वी.बी कोरगाओंकर और स्थानीय लोगों ने प्रयास कर इस मंडल की स्थापना की। उस समय इस मंडल के निर्माण के लिए आवश्यक भू खंड को रजबअली तय्यबअली ने दिया था। यहां पर धार्मिक आयोजनों के साथ उस समय स्वाधीनता संग्राम की रणनीति पर विचार किया जाता था।

मान्यता है कि लालबाग के राजा के दर्शन करना ही भाग्यशालियों को नसीब होता है। यहां पर मांगी गई मन्नते पूरी होती हैं। लालबाग की ख्याति इससे भी आंकी जा सकती है कि यहां पर आने वाला चढ़ावा तकरीबन 20 से 25 करोड़ से अधिक होता है। जो कि भक्तजन अर्पित करते हैं, मंडल ने अब तक यहां पर 20 करोड़ के दान का रिकॉर्ड भी कायम किया है। इस पूजा में गणपति को नवसाचा गणपति कहा जाता है। जो कि सभी इच्छाओं को पूरी करने वाला होता है। इनके दर्शन के लिए 5 से 10 किलोमीटर की लाइन लग जाती हैं।

यहां पर गणपति के दर्शन के लिए बॉलीबुड की बड़ी हस्तियों के साथ बड़े राजनेता और उद्योगपति तक आते हैं। 10 दिनों चलने वाले इस पूजा का विसर्जन दसवें दिन गिरगांव चौपाटी में किया जाता है। लालबागचा मंडल दान में मिली धनराशि को कई चैरिटी में खर्च करता है। अस्पतालों में गरीबों के इलाज में खर्च करने के साथ प्राकृतिक आपदाओं के लिए राहत कोषों के साथ अन्य चैरिटियों में खर्च किया जाता है।

लालबाग के राजा की विशेष आरती का महत्व है। हम आपको सीधे आरती से जोड़ते हैं। अगले पेज पर जाएं और देखें लालबाग का राजा

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