देहरादून। सूबे के 17 वें स्थापना दिवस पर राज्य में मनाए जा रहे कार्यक्रमों की श्रृंखला की शुरूआत सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास में रैबार कार्यक्रम का उद्घाटन कर शुरू कर दी है। इस कार्यक्रम के शुभारम्भ पर दूसरे सत्र में उत्तराखण्ड के दो अनमोल रत्न पर्यटन और पर्यावरण में लोगों ने अपने विचारों को एक दूसरे के साथ साझा किया। इस कार्यक्रम का आगाज पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने किया।
जावलकर ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य में पर्यटन को स्थानीय आर्थिकी से जोड़ने, 13 जिले13 नये पर्यटन स्थल,केदारनाथ व मसूरी रोपवे निर्माण, स्थानीय उत्पादों व पर्यटक स्थलों की मार्केटिंग व ब्राण्डिंग आदि पर विशेष फोकस किया जा रहा है। हमे मुख्यतः दो रणनीतियों पर कार्य करना है, प्रथम पलायन को रोकने में पर्यटन किस प्रकार सहायता कर सकता है तथा इकोलोजी को इकॉनोमी से किस प्रकार जोड़ा जा सकता है ।
इस मौके पर पर्यावरणविद् श्री अनिल जोशी ने सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस प्रकार की सामूहिक चर्चा के आयोजन के लिए बधाई व प्रंशसा की पात्र है। हमें गांव के विकास व उत्तराखंड की ब्रांडिग पर विशेष ध्यान देना होगा। हमें मात्र जीडीपी पर ही ध्यान नही देना होगा बल्कि पर्यावरण सरंक्षण पर भी ध्यान देना होगा। हमें अपने ग्रोथ इंडिकेटर्स बदलने की आवश्यकता है। पर्यावरण व पर्यटन में संतुलन बनाने की भी जरूरत है।
इस अवसर पर यूकोस्ट के डायरेक्टर जनरल डॉ राजेन्द्र डोभाल ने कहा कि हमें सस्टेनेबल टूरिज्म पर ध्यान देना होगा। उत्तराखण्ड की पर्यावरणीय संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए इसे हर्बल स्टेट के रूप विकसित किया जाना चाहिए। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डीजीपी अनिल रतूड़ी ने कहा कि राज्य की अच्छी ब्राण्डिंग व हॉस्पिीटीलिटी सेवाओं के विकास के साथ ही सड़कों , हैलीपेडो व हवाई सेवाओं में भी सुधार किया जाना चाहिए। हमें स्वरोजगार पर विशेष ध्यान देना होगा।
कार्यक्रम के अन्त में वन मंत्री डा0 हरक सिंह रावत कहा कि हमें पलायन को रोकने के लिए अपने गांवों को बसाने व कृषि प्रोत्साहन पर ध्यान देना होगा। राज्य में धार्मिक पर्यटन कि अलावा भी अपार संभावनाएं है। राज्य विकास हेतु हम सब को मिलजुल कर प्रयास करने होंगे।