पटना। बिहार टॉपर घोटाले में बच्चा राय को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी है यानि कि अब उसे जेल में ही रहना पड़ेगा। SC ने पटना हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए ये फैसला सुनाया है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की सुनवाई करते हुए 6 मार्च को पटना हाईकोर्ट के जमानत आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी और बिहार सरकार की अर्जी पर बच्चा राय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। बच्चा राय को हाईकोर्ट ने इसी साल 14 फरवरी को जमानत का आदेश दिया था। जिस पर रोक लगाते हुए गुरुवार (20-4-17) को कोर्ट ने जमानत याचिका को रद्द कर दिया।
जानिए क्या है बिहार टॉपर घोटाला?
-साल 2016 में बिहार टॉपर्स घोटाले का खुलासा मीडिया के जरिए हुआ था।
-इंटर रिजल्ट के आउट होते ही पटना के वी आर कॉलेज के कई छात्रों के नाम टॉपर लिस्ट में शामिल हुए। इस कॉलेज की रुबी राय 444 अंक मिले लेकिन मीडिया से बातचीत के दौरान पॉलिटिकल साइंस को प्रोडिकल साइंस कहा।
-जिसके बाद उनका मीडिया को दिया गया साक्षात्कार वायरल हुआ और इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ।
-घोटाला सामने आने पर समिति ने विशेषज्ञों की एक टीम बनाई थी और 14 टॉपरों को 3 जून 2016 को साक्षात्कार के लिए बुलाया था।
-विशेषज्ञों द्वारा लिए गए साक्षात्कार के बाद विज्ञान संकाय के टॉपर्स बने सौरभ श्रेष्ठ और राहुल कुमार का परीक्षा परिणाम रद्द कर दिया गया था, इस साक्षात्कार में रूबी नहीं पहुंच पाई थी।
-इसके बाद समिति ने 11 जून को रूबी को दूसरा मौका दिया था, लेकिन उस दिन भी रूबी नहीं पहुंच पाई थी। समिति ने बाद में रूबी के साक्षात्कार के लिए अंतिम तिथि 25 जून को निर्धारित की थी। इस टेस्ट में रुबी फेल हो गई थी जिसके बाद तुरंत अरेस्ट कर लिया गया था।
-इसके बाद कॉलेज चलाने वाले अमित कुमाप उर्फ बच्चा राय बिहार बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद के साजिश का खुलासा हुआ।
-पता चला कि बोर्ड अध्यक्ष के साथ मिलकर कॉलेज के छात्रों को मनमाने अंक दिलवाए जाते थे।
-मामले के तूल पकड़ने के बाद बिहार बोर्ड परीक्षा समिति के लालकेश्वर प्रसाद सिंह और उनकी पत्नी एवं जनता दल (युनाइटेड) की पूर्व विधायक उषा सिन्हा और विशुन राय कलेज के प्राचार्य बच्चा राय को पुलिस ने गिरफ्तार किया।