नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को निर्देश दिया है कि वो यह बताएं कि पुराने नोटों को जमा कराने वाले असली जमाकर्ताओं को नोटिस जमा कराने की इजाजत देंगे कि नहीं। कोर्ट ने दोनों को दो हफ्ते में फैसला कर बताने का निर्देश दिया है। बता दें कि आठ नंवबर की नोटबंदी के बाद सरकार ने पुराने नोट बदलने के लिए एक समय सीमा तय की थी लेकिन जो उस समय नहीं जमा कर पाए उनके लिए आरबीआई ने एक और मौका दिया था लेकिन बहुत से लोगों ने बताया कि अभी उनके पास पुराने नोट है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा हैं कि जब आपने कहा था कि नोट बदलवाने का मौंका दिया जाता है सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि आपने वादा किया था कि जिन जमाकर्ताओं की वाजिब वजह है उन्हें पुराने नोट जमा करने की अनुमति दी जाएगी। आप इस वादे से पीछे नहीं हट सकते हैं। जो व्यक्ति ये सबूत देता है कि उसकी दिक्कत वाजिब है उसे जमा करने का मौका जरूर मिलना चाहिए। उसके बाद केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि वे हर वाजिब जमाकर्ता की हकीकत जानने को तैयार हैं। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस पर केंद्र दो हफ्ते में फैसला कर प्रस्ताव लेकर आए।
जब ये नोट 10 नवंबर से लेकर 14 नवंबर के बीच जमा किए गए हों क्योंकि 14 नवंबर के बाद कोऑपरेटिव बैंकों को पुराने नोट जमा लेने की इजाजत नहीं थी। यह दूसरा मौका है जब केंद्र सरकार ने बैंकों, डाकघरों और केंद्रीय सहकारी बैंकों को बेकार हो चुके नोटों को रिजर्व बैंक में जमा कराने का समय दिया है।
आपको बता दें कि केन्द्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का फैसला लिया था जिसके बाद 9 नवंबर से ही 500 और 100 रुपए के पुराने नोट अमान्य कर दिए थे यह उस वक्त बाजार में प्रचलित कुल करेंसी का 86 फीसदी हिस्सा थी।