रियाद। सऊदी अरब की सुप्रीम कोर्ट ने सरकार विरोधी प्रदर्शन करने के दोषी पाए गए 14 लोगों को मौत की सजा सुनाई है। इनमें से एक 17 साल का स्टूडेंट भी हैं। सजा के तहत इनका सिर धड़ से अलग करने का आदेश दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमेनिस्टी इंटरनेशनल ने इस फैसले की आलोचना की है।
बता दें कि इन सभी पर 2011 से 2012 के बीच सरकार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल होने का आरोप है। ये सभी प्रदर्शन ‘अरब स्प्रिंग’ का हिस्सा थे। जुलाई 2016 में सऊदी की ही एक कोर्ट ने इन सभी आरोपियों को सरकार के खिलाफ हथियारबंद आंदोलन शुरू करने का दोषी माना था। इन सभी पर अव्यवस्था फैलाने और एक सुरक्षाकर्मी पर गोली चलाने का भी आरोप है। अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरकार अपनी मंजूरी दे देती है, तो इन्हें मौत की सजा दी जाएगी। सजा पाने वाले 14 लोगों में एक ऐसा युवक भी शामिल है, जो अमेरिका पढ़ाई के लिए जाने वाला था।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मुजतबा अल सुवेकेत नाम के इस लड़के के अलावा 13 अन्य लोगों को सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा है। इस मामले में सुवेकेत को जब गिरफ्तार किया गया था, तब वह केवल 17 साल का था। हिरासत में लिए जाने से पहले ही अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी में उसका दाखिला भी हो गया था। एमेनेस्टी ने जताया एतराज है। एमेनेस्टी इंटरनेशनल के समाह हदीद ने कहा कि इन सजाओं की मंजूरी देकर सऊदी अरब ने एकबार फिर यह साबित किया है कि विरोध और राजनीतिक विरोधियों को दबाने के लिए वे मौत की सजा को हथियार बनाना जारी रखेंगे।