विदिशा। मध्य प्रदेश के विदिशा में आरएसएस के मध्य क्षेत्र की तीन दिवसीय समन्वय बैठक के शुभारंभ के अवसर पर आरएसएस प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने कहा कि राजनीति में जातिवाद को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन राजनीतिक पार्टियों को अपनी प्राथमिकता के आधार पर काम करना चाहिए। संगठनों और नेताओं में आपसी फूट नहीं होनी चाहिए। उन्हें आपस में समन्वय बनाकर काम करने की जरूरत है। सभी संगठन अपनी-अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर लक्ष्यपूर्ति के लिए काम करें। नेताओं और संगठनों के झगड़े निपटाना संघ का काम नहीं है।
संघ प्रमुख ने कहा कि सभी अनुषांगिक संगठनों को राष्ट्रहित में काम करना चाहिए। करीब दो घंटे के संबोधन में उन्होंने सामाजिक समरसता और राष्ट्र निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज के दौर में संस्कृति को मजबूत रखने की जरूरत है। यदि संस्कृति मजबूत रही तो राष्ट्र भी मजबूत बना रहेगा। संघ की बैठक मे बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार चौहान, संगठन मंत्री सुहास भगत, प्रदेश महामंत्री वीडी शर्मा, सांसद प्रभात झा, किसान संघ के शिवकांत दीक्षित, विद्याभारती के हितानंद शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे।
संघ प्रमुख ने कहा कि मैं और सभी स्वयंसेवक हिंदू राष्ट्रवादी हैं। प्रधानमंत्री सहित सत्ता में बैठे अन्य लोगों के मन में भी यही होगा, लेकिन उनकी कुछ मर्यादाएं हैं। जिसकी वजह से वे बोलते नहीं हैं। गौरतलब है कि 2013 में नरेंद्र मोदी ने एक साक्षात्कार में कहा था कि मैं हिंदू और राष्ट्रवादी हूं। आरएसएस के सभी संगठनों को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि सभी संगठन एक दूसरे के पूरक बनें, बाधक न बनें। संगठन अपनी सीमाओं में रहकर एक-दूसरे की कमियां निकालते हैं। एबीवीपी और युवा मोर्चा के बीच झगड़ा चलता है, लेकिन सभी एक-दूसरे के पास आने-जाने लगें तो झगड़ा खत्म हो जाएगा।