वाशिंगटन। भारत 7.7 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर के साथ साल 2025 तक अपने पड़ोसी देश चीन को आर्थिक मामले में पीछे छोछ़ देगा। यह खुलासा हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन से हुआ है। हार्वर्ड विश्ववि्द्यालय के सेंटर फ़ॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (सीआईडी) ने 2025 तक सबसे तेज़ी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाओं की सूची में भारत को सबसे ऊपर रखा है। इस दौरान चीन की सालाना वृद्धि दर 4.41 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद जताई गई है।
सीआईडी की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ सालों में वैश्विक वृद्धि के मामले में भारत लगातार आगे बढ़ रहा है। इसी वजह से वैश्विक आर्थिक विकास की धुरी चीन से खिसककर भारत की तरफ़ बढ़ गई है। शोध के अनुसार, भारत ने अपने निर्यात को नए क्षेत्रों तक पहुंचा कर नया आयाम दिया है। इसमें रसायन, वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे नए क्षेत्र शामिल हैं। वहीं, दूसरी तरफ़ तेल निर्यात पर आधारित अर्थव्यवस्थाओं को ख़ासा नुकसान झेलना पड़ा है।
रिपोर्ट के अनुसार जिन अर्थव्यवस्थाओं के सबसे तेज़ी से बढ़ने की उम्मीद है उनमें भारत के साथ तुर्की, युगांडा, इंडोनेशिया और बुल्गारिया शामिल हैं।
अध्ययन के तहत अनुमान लगाया गया है कि आने वाले 10 सालों में पाकिस्तान की सालाना वृद्धि दर भी काफी तेज़ रहने की उम्मीद है और साल 2025 तक पाकिस्तान भी 6 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर के साथ चीन को पछाड़ देगा। हालांकि चीन और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्थाओं में बहुत ज्यादा अंतर है। फ़िलहाल चीन की अर्थव्यवस्था 12 ट्रिलियन डॉलर है, जबकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस समय 300 बिलियन डॉलर की ही है।
सेंटर फ़ॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट ने अपने शोध के लिए सभी देशों को तीन प्रमुख श्रेणियों में बांटा है। पहली श्रेणी में वे देश हैं जो थोड़े सुधार से अपने उत्पादों में विविधता ला सकते हैं जैसे बांग्लादेश, इक्वाडोर और गुएना। दूसरी श्रेणी में वे देश हैं जिनके पास पर्याप्त क्षमताएं हैं ताकि वे आसानी से वृद्धि और विविधता हासिल कर सकते हैं। इस श्रेणी में भारत, इंडोनेशिया और तुर्की शामिल हैं। तीसरी श्रेणी उन देशों की है जो विकसित देश हैं जैसे जापान, जर्मनी और अमरीका- जो करीब-करीब हर मौजूद चीज़ का उत्पादन करते हैं। इस श्रेणी के देशों की अर्थव्यवस्था धीमी रफ़्तार से बढ़ेगी।