नई दिल्ली। हम सब ने बचपन से रेखा की परिभाषा सुनी है कि एक रेखा कई बिंदुओं से मिलकर बनी है। रेखा एक ऐसी रचना है जिसका कोई अंत नहीं होता। ये तो आप सभी जानते हैं कि एक सीधी रेखा को एक बिंदु पर एक ही बार काटा जा सकता है। जिस रेखा की हम बात कर रहें हैं वो भी कुछ ऐसी ही हैं। जिन्होंने अपनी जिंदगी के कई बिंदुओं को छुआ है लेकिन सिर्फ एक ही बार बिल्कुल एक सीधी रेखा की तरह। जीं हां हम बात कर रहे हैं भानुरेखा गणेशन, रेखा की जो मंगलवार को अपना 63वां जन्मदिन मना रही हैं।
परिवार सुख के लिए छोड़ा मां ने करियर
बता दें कि रेखा कि मां एक पुष्पावल्लि एक्ट्रेस थी। अगर आपको फिल्म डर्टी पिक्चर का डायलॉग याद हो तो समझ लीजिए की पुष्पवल्ली को काम देने वाले स्टूडियो के मालिक के साथ ट्यूनिंग करनी पड़ती थी। इसी बीच उनके जीवन में अभिनेता जैमिनी गणेशन आए लाइफ में उनके आते ही पुष्पावल्लि ने करियर छोड़ दिया। सोचा था कि परिवार सुख और पति का प्यार मिलेगा। लेकिन जैमिनी ने रेखा की मां को सबकुछ दिया सिर्फ नाम नहीं दिया क्योंकि वो पहले से शादी शुदा थे।
पिता को देखती पर मिलती नहीं थी
रेखा का कहना है कि वो और उनके सभी सौतेले भाई बहन एक ही स्कूल में पढ़ते थे। जैमिनी अपनी पहली पत्नी के बच्चों को स्कूल छोड़ने आते थे। लेकिन उन्होंने रेखा से कभी बात नहीं की और न ही कभी उनसे मिले। रेखा ने 13 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ दी। उसके बाद उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। रेखा इस बात को लेकर कभी अफसोस भी नहीं करती हैं कि उनके पिता उनसे मिलते नहीं थे वो बड़े ही बेपरवाह अंदाज से कह देती हैं कि उस वक्त साउथ में ऐसा ही होता था।
इस फिल्म से बदला रेखा का नजरिया
धीरे-धारे रेखा ने अपने नजरिए को बदलना शुरू किया। जिस वक्त रेखा ने अपना नजरिया बदला वक्त उनके खाते में उमराव जान, मुकद्दर का सिंकदर, सिलसिला और खूबसूरत जैसी तमाम फिल्में थी। लेकिन रेखा के लिए सबसे खास फिल्म खून भरी मांग है। रेखा का कहना है कि इस फिल्म से पहले वो अपनी एक्टिंग को सिर्फ काम के तौर पर देखती थी। मगर खून भरी मांग की सफलता और उसके लिए मिले अवॉर्ड ने उन्हें अहसास दिलाया कि सिनेमा ही वो चाबी है जो रेखा को अमिट बना सकता है। इस फिल्म ने उनका अपने प्रति नजरिया बदल दिया।
रेखा की एक ख्वाहिश जो हमेशा अधुरी रहेगी
रेखा का कहना है कि उनकी सिर्फ एक ही ख्वाहिश थी की एक प्यार करने वाला पति हो और एक छोटा सा सुखी परिवार हो। रेखा की जिंदगी में विनोद, मुकेश, किरण, और जितेंद्र जैसे नाम जितनी तेजी से आए थे उतनी ही तेजी से चले भी गए। रेखा के पति मुकेश अग्रवाल ने शादी के कुछ महीने बाद ही रेखा के दुप्पटे से लटक कर आत्म हत्या कर ली थी। उस वक्त रेखा दुनिया भर के लिए घर तोड़ने वाली औरत बन गई। रेखा को एक हिंदी सिनेमा के मशहूर अभिनेता तो उन्हें नेशनल वैम्प तक कह दिया था लेकिन रेखा चुप रही।
अमिताभ से सीखी ये आदत
रेखा ने अमिताभ से एक आदत सीखी थी कि अपनी निजी जिंदगी को किसी के सामने न लाने की और वो उसी को दहराती रही। लोकिन सब कुछ होने के बाद भी रेखा की एक सुखी परिवार और प्यार करने वाले पति की ख्वाहिश अधुरी ही रह गई। लोकिन आज भी अगर रेखा को किसी कार्यक्रम में देखा जाता है तो एक नवविवाहिता की तरह सिंदूर लगाए और फुल मेकअप में देखा जाता है लेकिन किसी की हिम्मत नहीं होती की वो उनसे उनके सिंदूर के बारे में पूछे कि वो किसके नाम का सिंदूर लगाती हैं। रेखा वो शय है जिन पर कई गजले मुक्कमल की जा सकती हैं।
रानी नक़वी