नई दिल्ली। नोटबंदी को लेकर रिजर्व बैंक का कहना है कि नोटबंदी के आकंड़ो ने भारत सरकार को बैकफूट पर ला दिया है। आरबीआई ने जो आंकड़े जारी कि हैं। उनके मुताबिक जिस मकसद से नोटबंदी की गई थी उससे काफी दूर रही। इसी को लेकर विपक्ष और सरकार में जुबानी जंग लगातार जारी है। विपक्ष हमेशा नोॉबंदी को लेकर सरकार के घेर लेता है। इसी को लेकर अरूण जेटली ने सफाई दी है। जेटली ने इस पर कई तर्क दिए हैं। 8 नवंबर 2016 को जब पीएम मोदी ने देश में नोटबंदी का एलान किया था उन्होंने कहा था कि भारत के आर्थिक सिस्टम में कैश की तादाद काफी ज्यादा है, हमें जल्द ही कैशलेस इकॉनोमी की ओर कदम बढ़ाने होंगे।
बता दें कि पीएम ने कहा था कि अधिक कैश होने के कारण सिस्टम में भ्रष्टाचार के चांस बढ़ जाते हैं। इसके द्वारा हवाला करने वालों को बढ़ावा मिलता है, जिससे कालेधन में भी बढ़ोतरी होती है। मोदी ने कहा था कि इन सभी गतिविधियों पर रोकथाम के लिए 8 नंवबर, 2016 की आधी रात्रि से ही 500 और 1000 के नोट बंद करने का निर्णय कर रहे हैं। ये कदम भ्रष्टाचार, कालेधन और नकली नोटों के खिलाफ लड़ाई को तेज करेगा। मैं सभी देशवासियों से इस महायज्ञ में मदद करने की अपील करता हूं।
इस पर अरूण जेटली ने का कहना है कि जो लोग नोटबंदी की आलोचना कर रहे हैं उसे बेकार बता रहे हैं। वो लोग नोटबंदी को लेकर अभी तक कंफ्यूज है उनको नोटबंदी का असली उद्देश्य अभी तक समझ नहीं आया है। जेटली ने कहा कि नोटबंदी के बाद उसके संबंध में कुछ लोग टिप्पणी कर रहे हैं कि नोटबंदी का एक मात्र उद्देश्य ये था कि लोग पैसा जमा ना कराएं और पैसा जब्त हो जाए। जिन लोगों ने जीवन में कभी काले धन के खिलाफ जंग नहीं लड़ी, वो शायद इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य समझ नहीं पाए। ये किसी का पैसा जब्त करने का उद्देश्य नहीं था। बैंकिंग सिस्टम में पैसा आ जाए तो इसका मतलब ये नहीं कि वो पूरा पैसा वैध है। इस पैसे के खिलाफ आयकर विभाग पूरी जांच करता है। यही कारण है लाखों लोगों को नोटिस पर डाला गया है। जिसका एक प्रत्यक्ष असर हुआ है कि डायरेक्ट टैक्स बेस बढ़ा है। उससे जीएसटी का प्रभाव भी बढ़ा है।