जयपुर। लोकायुक्त न्यायमूर्ति एस.एस. कोठारी ने जयपुर नगर निगम के महापौर द्वारा 290 दिन बाद भी राजस्थान नगर अधिनियम, 2009 के प्रावधानों की पालना नहीं करने और कमेटियां नहीं बनाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए सवाल -जवाब किया। कमेटियां नहीं बनने से भवनों के नक्शे पास नहीं हो रहे। इससे लोग परेशान हैं। भवन निर्माण की स्वीकृतियां अटकी हुई हैं। सीज भवनों के मामले में भी पेण्डिंग पडे़ हैं।
दूसरी ओर, अतिक्रमण के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। पार्कों का विकास ठप्प पड़ा है। सफाई को लेकर आए दिन बवाल हो रहा है। डेयरी बूथ और मैरिज गार्डन को लाइसेन्स प्रदान नहीं किये जाने से नागरिकों को असुविधा हो रही है। लोकायुक्त ने यह मामला आम जनता की परेशानियों से जुड़ा प्रतीत होने से प्रमुख शासन सचिव से विस्तृत तथ्यात्मक रिपोर्ट 6 नवम्बर, 2017 तक तलब की है। विस्तृत विवरण में यह भी पूछा गया कि मेयर, नगर निगम, जयपुर को नगरपालिका अधिनियम के उचित निर्देश क्यों नहीं दिये गये। जब मेयर 90 दिन मे कमेटियां गठन नहीं कर पाया तो राज्य सरकार ने उक्त अधिनियम के तहत अपने स्तर पर कमेटियों का गठन क्यों नहीं किया।
साथ ही यह निर्देश भी उन्हें दिया गया कि अब नगरपालिका अधिनियम के प्रावधानों का अध्ययन कर कमेटियों के गठन के बारे मे विचार कर एक माह में निर्णय करे अथवा पूर्व के कमेटियों के अध्यक्षों को निर्देश दे कि जब तक नई कमेटियों का गठन नहीं हो, वे पूर्ववत कार्य करते रहे।
इसके अलावा जयपुर मेयर अशोक लाहोटी से भी यह पूछा गया है कि पूर्व में कमेटियों के अध्यक्षों द्वारा त्यागपत्र देने के बाद न तो उन्हें स्वीकार किया और न ही कमेटी अध्यक्षों को कार्य करते रहने को कहा है और इसके बावजूद नई कमेटियों का गठन नहीं किया है। मेयर से यह भी पूछा गया कि उनके पदग्रहण करने के 280 दिन के बाद भी कमेटियों द्वारा कार्य नहीं करने के लिए कौन दोषी है।