नई दिल्ली। काफी लंबे समय से संसद में अलग से रेल बजट को पेश करने की परंपरा बुधवार को खत्म हो गई है। कैबिनेट मीटिंग में इस पर फैसले पर मुहर लगा दी गई है। साल 1924 से लगातार रेल बजट को संसद में अलग से पेश किया जा रहा था लेकिन इस फैसले से 92 साल से चली आ रही प्रभा पर विराम लग गया है।
इस पूरे मामले पर भारत खबर ने रेल विकास निगम लिमिटेड के स्वतंत्र निदेशक शिव कुमार गुप्ता (सीए) से बात की। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने रेल बजट को आम बजट में शामिल कर बहुत ही सराहनीय कार्य किया है। उनके मुताबिक जिस समय रेल बजट को शुरू किया गया था उस समय रेलवे टोटल रेव्न्यू का बहुत बडा पार्ट होता था परंतु अब रेलवे टोटल बजट का माइनर पार्ट है, इसलिए अलग से बजट न बनाकर आम बजट में शामिल करने पर एडमिस्ट्रेशन में काफी सुधार होगा।
शिव कुमार गुप्ता ने बताया कि अब रेल बजट बनाने के लिए अलग से ऑफिसर लगाने नहीं पड़ेंगे, साथ ही रेलवे जो 10000 (दस हजार) करोड रुपए केंद्र सरकार को हर वर्ष कॉमर्शियल डिविडेंट के रुप में दिया करता था रेलवे को वह पैसा भी बचेगा। इसका सीधा अर्थ है कि रेलवे को ये 10 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा होगा।
शिव कुमार ने स्पष्ट किया सरकार के इस फैसले से रेलवे में विकास, पारदर्शिता जवाब देही बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि अब रेलवे केंद्र सरकार की कॉमर्शियल आर्गेनाइजेशन के तहत कार्य करेगी, उन्होंने मोदी सरकार के इस कार्य की सराहना की व इसको वेलकम कार्य बताया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इससे आम जनता को मिलने वाली सुविधाओं में भी इजाफा होगा।
(राहुल गुप्ता, संवाददाता)